लेह: लदाख (Ladakh) में हाल के दिनों में भारत (India) और चीनी (China) सेना के बीच तनातनी थोड़ी कम हुई थी. अब सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख के फिंगर एरिया से चीन पूरी तरह हटने को तैयार नहीं है. दो दिन पहले हुई लेफ्टिनेंट जनरल अधिकारियों की बैठक में भारत ने चीन से स्पष्ट कह दिया था कि अप्रैल 2020 की यथास्थिति से कम उसे कुछ भी मंजूर नहीं है. चीन फिंगर 4 से पीछे हटा है लेकिन वो फिंगर एरिया में बना रहना चाहता है, खासतौर से फिंगर 8 एरिया में. जबकि भारत पहले फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग किया करता था.
भारत और चीन के बीच बुधवार को 15 घंटे तक डिसेनेजमेंट को लेकर बातचीत हुई. 21 या 22 जुलाई को भारत और चीन पीछे हटने की प्रक्रिया को वेरिफाई करेंगे. आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने अपने कमांडरों के साथ कल हुई बातचीत के मसौदे पर चर्चा की.
बता दें कि भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच चुशुल में चौथे दौर की बातचीत मंगलवार रात 2 बजे खत्म हुई थी. मीटिंग मंगलवार सुबह 11 बजे शुरू हुई थी. अधिकारियों के बीच करीब 15 घंटे बातचीत हुई. सूत्रों के मुताबिक, कमांडरों की बैठक में दोनों देशों के बीच LAC (Line of Actual Control) पर तनाव को और कम करने पर चर्चा हुई. इसके अलावा मीटिंग में पैंगोंग त्सो और देपसांग को लेकर भी बातचीत हुई. इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच 6 जून और 22 जून को चीन के मोलदो में और 30 जून को चुशुल में ही बैठक हुई थी.
वहीं दूसरी ओर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) देश की सैन्य तैयारियों का जायजा लेने और समग्र स्थिति की समीक्षा करने के लिए शुक्रवार को लद्दाख का दौरा करेंगे. राजनाथ सिंह का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब भारत और चीन के बीच तनातनी वाली जगहों से सैनिकों को पूरी तरह पीछे हटाने के लिए एक कार्ययोजना को अंतिम रूप देने की ओर आगे बढ़ा जा रहा है. रक्षा मंत्री के साथ थलसेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे भी होंगे.