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जो काम नीरी न कर सकी वो Covid 19 ने कर दिया, अब ताज पर लागू होगी ये व्‍यवस्‍था

ताजमहल के संरक्षण को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) द्वारा तय की गई धारण क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) की सिफारिश को तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने पांच वर्षों में नहीं माना, लेकिन कोविड-19 ने तीन माह में ही यह काम करा दिया। नीरी ने ताजमहल में एक घंटे में अधिकतम छह हजार सैलानियों को प्रवेश देने की सिफारिश की थी, लेकिन अब एक दिन में अधिकतम पांच हजार सैलानी ही ताज देख सकेंगे।

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सूखती यमुना और सीढ़ियों के पत्थरों के घिसने पर ताजमहल की मजबूती को लेकर कुछ वर्ष पूर्व सवाल उठे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एएसआइ ने वर्ष 2015 में नीरी से इसके लिए अध्ययन कराया था। नीरी ने अध्ययन कर सौंपी रिपोर्ट में कई सिफारिशें की थीं। इनमें एक घंटे में अधिकतम छह हजार सैलानियों को ताजमहल में प्रवेश देने, किसी भी स्थिति में स्मारक में पर्यटकों की संख्या नौ हजार से अधिक नहीं होने देने, उन्हें स्मारक में डेढ़ घंटे से अधिक रुकने की अनुमति नहीं होने और स्टेप टिकटिंग के सुझाव प्रमुख थे। एएसआइ ने पिछले पांच वर्षों में ताज की धारण क्षमता तय करने की नीरी की सिफारिशों को माना ही नहीं। भीड़ प्रबंधन के लिए जरूर दिसंबर, 2018 में मुख्य मकबरे के लिए 200 रुपये का टिकट अलग से लागू कर दिया गया और पर्यटकों के स्मारक में रुकने की अवधि तीन घंटे तय कर दी गई।
अब जब कोविड-19 के काल में छह जुलाई से स्मारक खुलने जा रहे हैं, तब ताजमहल ही नहीं सभी स्मारकों की धारण क्षमता तय कर दी गई है। नीरी ने एक घंटे में जितने पर्यटकाें को ताजमहल में प्रवेश देने की सिफारिश की थी, अब दिनभर में दो पालियों में उससे कम पांच हजार (2500-2500) पर्यटक ही स्मारक में प्रवेश कर पाएंगे। पर्यटन उद्यमियों का भी यही मानना है कि धारण क्षमता के नियम को अब स्थायी कर देना चाहिए, यह आगरा के पर्यटन के हित में होगा। इससे पर्यटकों को यहां रुकना पड़ेगा और वो अन्य स्मारकों का रुख करेंगे।

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