टिड्डी दल जिले की सीमा के आसपास मंडरा ही रहे हैं। बुधवार को तीन दल आगरा के ऊपर से उड़कर धौलपुर और मध्यप्रदेश की ओर चले गए थे जबकि गुरुवार सुबह फिर एक दल ने किसानों को खेतों में दौड़ने को मजबूर कर दिया। सुबह एक दल जगनेर के ऊपर होता हुआ धौलपुर की ओर निकल गया इस दल की कुछ टिड्डियों ने जगनेर के खेतों में बैठने की कोशिश की लेकिन उन्हें हूटर, घंटे और थालिया बजाकर उड़ा दिया गया। दल में से एक छोटा टुकड़ा अभी भी जगनेर में मंडरा रहा है।
राजस्थान की ओर से आ रहे दल तो खतरा बने हुए थे, लेकिन पड़ोसी जिलों से भी लौटकर दल सीमाओं पर डरा रहे हैं। बुधवार को दोपहर में जगनेर क्षेत्र के ऊपर से एक पांच किलोमीटर लंबा दल गुजरा, जिससे आसमान काला-काला दिखने लगा। झुंड देख किसानों ने खेतों की ओर दौड़ लगा दी तो कुछ टिड्डियां नीचे ऊतरी तो उन्हें हूटर, घंटा, थाली बजाकर भगाया। ये दल धौलपुर सीमा में प्रवेश कर गया। वहीं इटावा की ओर से शाम के समय एक दल जैतपुर कला के चित्राहट, बटेश्वर के ऊपर होता हुआ, मप्र की सीमा में प्रवेश कर गया। इसमें से एक छोटा टुकड़ा इटावा-आगरा के बीच में छूट गया, जिसकी निगरानी में देरशाम तक कृषि विभाग की टीम बार्डर पर तैनात रही।
सोमवार को आगरा में आए टिड्डी दल को मंगलवार तक भगाने में कृषि विभाग जुटा रहा था, कि बुधवार को नए खतरे ने फिर हाथ पैर फुला दिए। दोपहर में जगनेर पहुंचे दल के लिए तैयारियां पूरी कर रखी थी, लेकिन इसमें से अधिकांश टिड्डियों ने आसमान नहीं छोड़ा। चंद टिड्डियां नीचे आई तो ग्रामीणों ने ध्वनि कर उन्हें भगा दिया। शाम पांच बजे लगभग एक दल इटावा की ओर से आगरा में घुसा और जैतपुर कला के चित्राहट, बटेश्वर के ऊपर उड़ता हुआ, मप्र की सीमा में प्रवेश कर गया। इसी दल में से टूटकर जिले की सीमा से 10 किमी दूर छूटा दूसरे दल ने देररात तक कृषि विभाग को मुश्किल में डाले रखा। जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. रामप्रवेश खुद टीम के साथ बार्डर पर पहुंच गए। दल को जिले की सीमा में पहुंचने से रोकने के प्रयास कर लिए गए तो अगर दल आ जाता है, तो उस पर स्प्रे कर मार गिराने की व्यवस्था भी कर ली गई थी।