ईरान के विदेश मंत्रालय ने 2015 के ईरान परमाणु समझौते के तहत प्रतिबंधों को समाप्त करने का अमेरिकी निर्णय की निंदा की है। मंत्रालय ने दावा किया है कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन है। यह अंतराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसवी ने शनिवार को कहा ईरान परमाणु अधिकारों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने के मामले में आवश्यक कानूनी उपाय करेगा। प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका द्वारा उठाया गया यह कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 का सरासर उल्लंघन है।
सख्त हुए ईरान के तेवर
गौरतलब है कि तेहरान ने ईरानी वैज्ञानिकों पर इस हफ्ते के प्रारंभ में अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अपने तेवर सख्त कर दिए थे। ईरान ने कहा था अमेरिका के इस रुख के बावजूद उसके विशेषज्ञ यूरेनियम संवर्द्धन गतिविधियां जारी रखेंगे। सरकारी टीवी ने देश के परमाणु विभाग के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि दो ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों पर प्रतिबंध लगाने का अमेरिका का फैसला यह संकेत देता है कि अमेरिका अपना शत्रुतापूर्ण रुख जारी रखे हुए है।
बयान में कहा गया है कि प्रतिबंधों के कारण वे अपनी कोशिशें पहले की तुलना में कहीं अधिक बढ़ा देंगे। बयान में कहा गया था कि प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं। बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ईरान की परमाणु ऊर्जा संगठन के दो अधिकारियों-माजिद आगा और अमजद साजगर पर प्रतिबंध लगा दिया था। ये लोग परमाणु संवर्द्धन के लिए सेंट्रीफ्यूग का विकास एवं उत्पादन करने में शामिल थे। गौरतलब हो गया है कि ईरान के साथ विश्व के शक्तिशाली देशों द्वारा किये गए परमाणु समझौते से अमेरिका 2018 में अलग हो गया था।