कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ वैक्सीन कितना जरूरी है यह बताना शायद सूरज को दीया दिखाने जैसा होगा। इजरायल की रक्षा प्रयोगशाला ने इसका एंटीबॉडी विकसित करने और इटली के दो वैज्ञानिकों ने कामचलाऊ वैक्सीन बनाने का दावा किया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में ह्यूमन ट्रायल चल रहे हैं।
गार्जियन के अनुसार अमेरिका और भारत में भी एक-दो वैक्सीन के शुरुआती ह्यूमन ट्रायल चल रहे हैं। इस बीच पिछले दिनों ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आशंका जताई कि यह संभव है कि हम कोरोना के खिलाफ निकट भविष्य में वैक्सीन बना ही नहीं सके। इस बयान से उनके वैज्ञानिक सलाहकार भी सहमत थे। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें कोरोना वायरस के साथ जीने की कला सीखनी होगी।
वैक्सीन बनाना पेचीदा और तकनीकी रूप से कठिन होता है। मूलत: वैक्सीन का काम इंफेक्शन को शरीर में घुसने से रोकना, उसके फैलाव को थामना और क्षति को न्यूनतम करना होता है। ये तीनों काम सुरक्षित रूप से होने चाहिए। गार्जियन के अनुसार किसी भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट गंभीर और व्यापक होते हैं। कोरोना के खिलाफ विकसित किये जा रहे वैक्सीन में ये लक्ष्य हासिल करने होंगे। आदर्श रूप से वैक्सीन तेजी से एंटीबॉडी बनाएगा, जो वायरस को खत्म कर देगा। साथ ही टी सेल संक्रमित कोशिकाओं को खत्म कर देगा। हर वैक्सीन दूसरे से अलग होता है। खतरा टी सेल में तेज वृद्धि में भी छुपा हुआ है, जो जानलेवा कैंसर का कारण बन सकता हैं।