HomeUttar PradeshAgraएसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के वार्ड में कोरोना पॉजिटिव मरीज...

एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के वार्ड में कोरोना पॉजिटिव मरीज शिफ्ट कर दिया गया। शनिवार सुबह जानकारी होने पर उसे बाहर निकाल दिया, मरीज की बहन अपने भाई को आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कराने की गुहार लगाती रही। बहन ने अपने बडे भाई की मदद से कोरोना संक्रमित को स्ट्रेचर पर लिटाकर वार्ड तक पहुंचाया। 29 को छीपीटोला निवासी एनएसयूआइ के कार्यकर्ता ने अपने 22 साल के भाई को पेट में संक्रमण होने पर बुधवार रात को एसएन इमरजेंसी में भर्ती किया गया। यहां इलाज ना मिलने पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए वीडियो वायरल कर दिए। इसके बाद उसका इलाज शुरू कर दिया, कोरोना की जांच के लिए सैंपल भेजे गए। शुक्रवार रात को कोरोना निगेटिव मानते हुए इमरजेंसी से घडी वाली बिल्डिंग स्थित मेडिसन वार्ड में शिफ्ट कर दिया। शनिवार सुबह जानकारी हुई कि मरीज कोरोना पॉजिटिव है। उसे प्रथम मंजिल स्थित वार्ड से बाहर निकाल दिया। अपने भाई को एसएन परिसर में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करने के लिए बहन गुहार लगाती रही, इसके वीडियो भी वायरल हुए हैं। पीपीई पहने कर्मचारी दूर खडे रहे, बहन ने अपने बडे भाई की मदद से उसे स्ट्रेचर पर लिटाया, वे सामान्य मास्क पहने ​हुए थे। स्ट्रेचर से आइसोलेशन वार्ड लेकर पहुंचे। प्राचार्य डॉ जीके अनेजा ने बताया कि मामले की जांच कराई जाएगी।

दुनिया के अंत की तरह शुरु हुआ कोरोना वायरस का प्रकोप आखिर कब अपने अंत पर पहुंचेगा। इस सवाल का जवाब अब हर कोई जानना चाहता है। विज्ञान अपनी बात कहता है और ज्‍योतिषशास्‍त्र अपने संकेत देता है। जिस अदृश्‍य दुश्‍मन के कारण विश्‍व की अर्थव्‍यवस्‍था से लेकर स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था तक सबकुछ चरमरा चुकी है उसके अंत के बाबत ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा ने महत्‍वपूर्ण जानकारियां साझा की हैं। उन्‍होंने बताया कि 11 मई, 2020 को शनि अपनी मार्गी चाल को छोड़ कर वक्री होने जा रहे हैं। 142 दिनों तक यानि 29 सितंबर तक वे इसी अवस्था में रहेंगे तत्पश्चात वे फिर से मार्गी हो जाएंगे। शनि की ये बदलती चाल आम जनमानस की टेंशन बढ़ाने वाली साबित होगी।

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कोरोना वायरस का ज्यादा प्रभाव दिसंबर 2019 से शुरू हुआ था और फरवरी 2020 तक इसने पूरी तरह जड़ें जमा ली थीं।  डॉ शोनू के अनुसार वायरस राहू व शनि से प्रभावित होता है जो आक्सीजन को दूषित कर हवा को विषैला बनाते हैं। राहू का संबंध धुआं व आसमान से है। ऐसे में कोई भी वायरस हवा में कहीं भी पहुंच जाता है, जबकि शनि हवा में पैदा हुए कण हैं जो कि वायरस के फैलने में मदद करते हैं।

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