पुराने वाहनों के मालिकों को अब और ज्यादा खर्च उठाना पड़ सकता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने फिटनेस टेस्ट फीस में बड़ा इज़ाफा करने का प्रस्ताव रखा है। यह कदम ठीक उसी के बाद आया है जब कुछ हफ्ते पहले ही RC रिन्यूअल चार्जेज बढ़ाए गए थे।
क्या है नया प्रस्ताव?
20 साल से पुराने प्राइवेट कार मालिकों को अब फिटनेस टेस्ट के लिए 2,000 रुपये चुकाने होंगे। वहीं 15 साल से पुराने मीडियम और हैवी कमर्शियल व्हीकल (ट्रक और बसें) के लिए यह शुल्क ₹25,000 तक रखा गया है। इसका मकसद साफ है कि पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हतोत्साहित करना और लोगों को सुरक्षित व नई गाड़ियों की ओर बढ़ावा देना।
प्राइवेट वाहनों पर भी नजर
अभी तक प्राइवेट वाहनों के लिए फिटनेस टेस्ट 15 साल पूरे होने पर RC रिन्यूअल के समय होता है और इसके बाद हर 5 साल में रिन्यूअल करवाना होगा। मंत्रालय अब इस नियम में बदलाव की सोच रहा है। संभावना है कि 15 साल की बजाय 10 साल से ही प्राइवेट कारों के फिटनेस टेस्ट अनिवार्य किए जा सकते हैं। फिलहाल RTO अक्सर विज़ुअल इंस्पेक्शन पर ही फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर देते हैं, लेकिन अब मंत्रालय ऑटोमेटेड टेक्निकल टेस्ट लाने की योजना बना रहा है।
कमर्शियल व्हीकल्स के लिए अलग स्लैब
ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में सुझाव दिया गया है कि कमर्शियल वाहनों के लिए फिटनेस फीस अलग-अलग उम्र के हिसाब से तय हो। अभी तक 15 साल से ज्यादा पुराने सभी कमर्शियल वाहनों पर समान फीस लगती है। नए नियम के तहत 10, 13, 15 और 20 साल से ज्यादा पुराने वाहनों के लिए अलग-अलग स्लैब होंगे। साथ ही 20 साल पार करने वाले वाहनों के लिए फिटनेस टेस्ट शुल्क डबल कर दिया जाएगा।
क्यों जरूरी है यह कदम?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोई भी अनफिट वाहन सड़क सुरक्षा के लिए खतरा है। दिल्ली के पूर्व डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर अनिल छिक्कारा का कहना है कि प्राइवेट वाहनों के लिए फिटनेस टेस्ट 10 साल से ही अनिवार्य किया जाना चाहिए। हाल ही में जुलाई में दिल्ली में पुराने वाहनों पर पेट्रोल-डीजल भरवाने पर बैन लगाया गया था, लेकिन भारी विरोध के बाद इसे नवंबर तक टाल दिया गया।