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बाहर की दुनिया के लिए बच्चों को करें तैयार, सिखाएं कैसे करें खतरनाक लोगों की पहचान

आज के समय में बच्चों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे मासूम होते हैं और कई बार सही-गलत में फर्क नहीं कर पाते, जिससे गलत लोग उनका फायदा उठा सकते हैं। ऐसे में बच्चों को खतरनाक लोगों की पहचान करना और उनसे सतर्क रहना, ये सिखाना जरूरी है।

अगर बच्चे किसी भी संदिग्ध व्यवहार को पहचानना सीख जाएं, तो अपनी सुरक्षा को बेहतर बना सकते हैं। इसलिए यहां कुछ ऐसे ही बेहद महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए हैं, जो बच्चों को खतरनाक लोगों को पहचानने में मदद करेंगे,तो आईए जानते हैं इनके बारे में-

अपने मॉम-डैड को मत बताना” कहने वाले लोग

अगर कोई व्यक्ति बच्चे से कहे कि “यह बात अपने माता-पिता को मत बताना,” तो यह खतरे की निशानी है। बच्चों को समझाएं कि कोई भी उनसे ऐसा कहे, तो तुरंत मम्मी-पापा को बताएं और ऐसे लोग से दूरी बनाएं।

जरूरत से ज्यादा दिलचस्पी दिखाने वाले लोग

अगर कोई व्यक्ति बच्चे की पर्सनल लाइफ में जरूरत से ज्यादा इंट्रेस्ट ले, उनके फ्रेंड्स, स्कूल, या घर की जानकारी पूछे, तो सतर्क रहना चाहिए। बच्चे को ऐसे व्यक्ति से दूर करना चाहिए।

सस्पेंसफुल तरीके से मदद मांगने वाले लोग

कुछ लोग बच्चों से ऐसे ढंग से मदद मांगते हैं जिससे वे मजबूर महसूस करें, जैसे – “मेरी बिल्ली खो गई है, तुम मेरी मदद करोगे?” या “तुम्हारी मम्मी ने मुझे भेजा है, चलो मेरे साथ।”

जबरदस्ती दोस्ती करने वाले लोग

अगर कोई अनजान व्यक्ति बच्चे से जबरदस्ती दोस्ती करने की कोशिश करे, उसे खास नाम से बुलाए, या बार-बार ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करे, तो यह खतरे की घंटी हो सकती है।

गलत तरीके से छूने वाले लोग

अगर कोई व्यक्ति बच्चे को गलत तरीके से छूने की कोशिश करे, हाथ पकड़ने, गले लगाने या गोद में बैठाने की जिद करे, तो यह खतरे का संकेत हो सकता है। बच्चों को “गुड टच” और “बैड टच” के बारे में बताना जरूरी है।

गिफ्ट या खाने-पीने का लालच देने वाले लोग

अगर कोई अनजान व्यक्ति टॉफी, खिलौने, या कोई अन्य चीज देकर लुभाने की कोशिश करे, तो इसे न स्वीकार करने और तुरंत माता-पिता को बताने की आदत डालें।

अकेले में बुलाने या ले जाने की कोशिश करने वाले लोग

कोई भी जो बच्चे को अकेले में बुलाने या ले जाने की कोशिश करे, यह कहकर कि “यह सिर्फ हमारे बीच का सीक्रेट है,” वह संदिग्ध हो सकता है।

ऑनलाइन अजनबियों से बातचीत करने वाले

इंटरनेट पर गलत लोग बच्चों से दोस्ती करने की कोशिश कर सकते हैं। उन्हें सिखाएं कि वे अनजान लोगों से ऑनलाइन बातचीत न करें, किसी से अपनी निजी जानकारी साझा न करें।

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राइट-साइड ड्राइविंग का सिस्टम 1792 में फ्रांसीसी क्रांति के बाद राइट-साइड ड्राइविंग को बढ़ावा मिला, जब फ्रांस ने नागरिकों को सड़क के दाईं ओर ड्राइव करने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया। यह सिस्टम धीरे-धीरे पूरे महाद्वीपीय यूरोप में फैल गई और बाद में, अन्य देशों ने भी इसका पालन किया। उदाहरण के लिए, स्वीडन ने 1967 में राइट-साइड ड्राइविंग को अपनाया, जिसका मुख्य कारण यह था कि राइट-ड्राइविंग देशों से आयात की जाने वाली कारों की संख्या बढ़ रही थी। कौन-सा ड्राइविंग सिस्टम ज्यादा सुरक्षित? आज दुनिया के अधिकांश देश सड़क के दाईं ओर गाड़ी चलाते हैं, लेकिन क्या यह वास्तव में लेफ्ट-साइड ड्राइविंग से ज्यादा सुरक्षित है? विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, जो देश राइट-साइड ड्राइविंग का पालन करते हैं, वहां लेफ्ट-साइड ड्राइविंग वाले देशों की तुलना में सड़क मृत्यु दर कम होती है। एक अध्ययन तो यह भी बताता है कि राइट-साइड ड्राइविंग से यातायात दुर्घटनाओं में 40% तक की कमी आ सकती है। इसका कारण सड़क डिजाइन, वाहन निर्माण मानक और यातायात प्रवाह पैटर्न जैसे कारक हो सकते हैं, जो अब वैश्विक बाजारों में काफी हद तक राइट-ड्राइविंग प्रणाली के साथ संरेखित हैं। हालांकि दोनों सिस्टम प्रभावी ढंग से काम करती हैं, लेकिन आधुनिक रिसर्च से पता चलता है कि जब सुरक्षा की बात आती है, तो राइट-साइड ड्राइविंग को थोड़ी बढ़त मिल सकती है। फिर भी, उचित बुनियादी ढांचे, नियमों के पालन और जागरूकता के साथ, सड़क सुरक्षा सड़क के किनारे से ज्यादा ड्राइवर के व्यवहार पर निर्भर करती है।
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