Advertisement
HomePoliticsBihar Politics: खगड़िया जिले की इस सीट पर रालोजपा की नजर, निशाने...

Bihar Politics: खगड़िया जिले की इस सीट पर रालोजपा की नजर, निशाने पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में राष्ट्रीय लोजपा जुट चुकी है। राष्ट्रीय लोजपा की नजर खगड़िया जिला के अलौली सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र पर है। यहां से राष्ट्रीय लोजपा सुप्रीमो व पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस अपने पुत्र यशराज पासवान उर्फ मुस्कान पासवान को चुनाव लड़ना चाहते हैं।

इसको लेकर बीते कई महीनों से तैयारी चल रही है। मालूम हो कि अलौली पशुपति कुमार पारस का गृह क्षेत्र है। वो यहां से कई बार विधायक रह चुके हैं। वर्तमान में अलौली सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र पर राजद का कब्जा है।

दो सितंबर, मंगलवार को राष्ट्रीय लोजपा की ओर से अलौली सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के बेला गांव में दलित चौपाल का आयोजन किया गया। चौपाल को राष्ट्रीय लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद प्रिंस राज पासवान भी संबोधित करने वाले थे, परंतु जानकारी मिली कि अस्वस्थता की वजह से वे नहीं आ सके।

हालांकि, यशराज पासवान उर्फ मुस्कान पासवान ने बेला कचहरी में आयोजित दलित चौपाल को संबोधित करते हुए कहा कि चौपाल का उद्देश्य राजनीतिक नहीं है, बल्कि एक-दूसरे की बातों को सुनना, संवाद करना है।

इससे पूर्व उन्होंने बेला कचहरी स्थित राजा चौहरमल बाबा स्थान में पूजा-अर्चना की। दलित चौपाल की अध्यक्षता राष्ट्रीय लोजपा के जिलाध्यक्ष शिवराज पासवान ने किया। इस मौके पर उन्होंने लोजपा (रा) सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को निशाने पर लिया। कहा कि चिराग पासवान नकली दलित नेता हैं। वो दलितों को ठगने का काम कर रहे हैं। दलितों के असली हितैषी राष्ट्रीय लोजपा के नेता पशुपति कुमार पारस हैं।

इस मौके पर यशराज पासवान उर्फ मुस्कान पासवान ने लोजपा के संस्थापक और अपने चाचा स्मृति शेष रामविलास पासवान को याद करते हुए कहा- रामविलास पासवान कभी अपने गांव, अपने जिला, अपनी जमीन और मिट्टी को नहीं भूले। वे बड़े नेता थे। कई बार केंद्र में मंत्री भी रहे।

यशराज पासवान ने कहा- दलितों, पिछड़ों, शोषित समाज के ऊपर अनेकों प्रकार के प्रहार हो रहे हैं। उन्होंने बिहार की विधि व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाए। मतदाता पुनरीक्षण को लेकर भी बात की। बोले, सभी को जानकारी होगी, चुनाव आयोग ने निर्णय लिया कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण हो। बिहार में 18 वर्ष से ऊपर की आबादी आठ करोड़ 18 लाख है। जो चुनाव आयोग की मतदाता सूची है, उसमें संख्या है, लगभग सात करोड़ 90 लाख। इसके बीच 30 लाख का फासला है। जो कमी है, उसे दूर किया जा सकता था। पर अब जब बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आया, तो चुनाव आयोग पुनरीक्षण कराने लगा है। इसका मुख्य उद्देश्य दलितों, शोषितों के नामों को मतदाता सूची से हटाना है।

उन्होंने कहा कि चुनाव के समय में यह पुनरीक्षण कराने का एक और कारण है कि, हर जगह सड़क, बिजली, पानी सहित अन्य समस्याएं हैं। लोग इससे त्रस्त हैं। चुनाव में लोग इसे लेकर सवाल उठाते, पर पुनरीक्षण में लोगों को उलझा दिया गया है। ताकि लोग समस्याओं को लेकर सवाल ही नहीं कर सकें। उन्हें मुद्दों से भटका दिया जाए। वही हो रहा है।

उन्होंने कहा कि इस पुनरीक्षण में अमीरों के नाम नहीं हटेंगे। दलितों, पिछड़ों, शोषितों के नाम हटेंगे। कहा, यहां बाढ़, कटाव की समस्या भी है। लोग इस कारण पलायन भी करते हैं। ऐसे में किसके पास सभी कागजात सही सलामत रह सकते हैं। और कितने लोग अपना काम- धंधा छोड़ कागजात बनवाकर पुनरीक्षण में दे सकेंगे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments