HomeUttar Pradeshपारदर्शिता बढ़ाने को शीघ्र लागू होगा नया सोसाइटी पंजीकरण एक्ट: सीएम योगी

पारदर्शिता बढ़ाने को शीघ्र लागू होगा नया सोसाइटी पंजीकरण एक्ट: सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के स्थान पर उत्तर प्रदेश में नया कानून लागू किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि सोसाइटी के रूप में पंजीकृत संस्थाओं के पंजीकरण, नवीनीकरण तथा उनकी संपत्तियों के पारदर्शी प्रबंधन को सुद्दढ़ करने के लिए युगानुकूल और व्यावहारिक प्रावधान किए जाने चाहिए।

ये बोले सीएम योगी 
सीएम योगी ने कहा, वर्तमान अधिनियम में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने, निष्क्रिय अथवा संदिग्ध संस्थाओं के निरस्तीकरण/विघटन और संपत्ति के सुरक्षित प्रबंधन, तथा सदस्यता, प्रबंधन और चुनाव संबंधी विवादों के समयबद्ध निस्तारण के स्पष्ट प्रावधानों का अभाव है। इसी प्रकार, वित्तीय अनुशासन के लिए ऑडिट, निधियों के दुरुपयोग पर नियंत्रण और संपत्ति प्रबंधन से संबंधित नियम भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि व्यावहारिकता का ध्यान रखते हुए युगानुकूल सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम लागू किया जाए।

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‘ऐसे प्रावधान किए जाने चाहिए, जो….’
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें ऐसे प्रावधान किए जाने चाहिए, जो पारदर्शिता, जवाबदेही और सदस्य हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट हो या सोसाइटी, कुछ लोगों की कुत्सित मानसिकता के चलते संस्थाओं की संपत्तियों की मनमानी बिक्री न हो, यह रोकने के लिए ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए। विवाद की स्थिति में प्रशासक नियुक्त किये जाने को अनुपयुक्त बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी संस्था कैसे संचालित होगी, यह प्रबंध समिति ही तय करे। सरकार अथवा स्थानीय प्रशासन की ओर से संस्थाओं के आंतरिक कामकाज में न्यूनतम हस्तक्षेप ही होना चाहिए।

‘वर्तमान में 8 लाख से अधिक संस्थाएँ पंजीकृत हैं’
सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में लगभग आठ लाख से अधिक संस्थाएँ पंजीकृत हैं, जिनकी गतिविधियां शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक समरसता, ग्रामीण विकास, उद्योग, खेल आदि अनेक क्षेत्रों से जुड़ी हुई हैं। इसलिए उनके संचालन, सदस्यता, चुनाव और वित्तीय अनुशासन से जुड़ी व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा किया कि निष्क्रिय अथवा संदिग्ध संस्थाओं के विघटन, निरस्तीकरण और संपत्ति के सुरक्षित प्रबंधन के लिए अधिनियम में ठोस प्रावधान होना चाहिए। साथ ही सदस्यता विवाद, प्रबंधन समिति में मतभेद, वित्तीय अनियमितताओं तथा चुनाव संबंधी विवादों के त्वरित और समयबद्ध निस्तारण की व्यवस्था की जानी उचित होगी।

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