HomeUttar PradeshAgraभारत का इकलौता गणेश मंदिर, जहां बप्‍पा की सवारी है मोर; खास‍ियत...

भारत का इकलौता गणेश मंदिर, जहां बप्‍पा की सवारी है मोर; खास‍ियत जानेंगे तो दंग रह जाएंगे आप

गणेश चतुर्थी का त्‍योहार देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्‍सव में हर कोई गणपति बप्पा की भक्ति में रमा नजर आता है। घर-घर में मूर्तियों की स्थापना की जाती है। मंडपों में सजावट की जाती है और बप्पा को रोजाना अलग-अलग व्यंजन और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। यही वजह है कि गणेश चतुर्थी न केवल आस्था का, बल्कि उमंग और उत्सव का भी प्रतीक बन चुका है।इस खास मौके पर हम आपको गणेश जी से जुड़े एक अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मान्यता और विशेषता सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। भारत में वैसे तो गणेश जी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन हर मंदिर की अपनी अलग पहचान और कथा होती है। ये मंदिर भी भक्तों के बीच अपनी अद्भुत मान्यता के कारण जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां आकर सच्चे मन से की गई प्रार्थना जरूर पूरी होती है। आइए जानते हैं उस मंदिर की खासियत के बारे में।

आस्‍था का केंद्र है त्र‍िशुंड मंदिर

हम ज‍िस मंद‍िर की बात कर रहे हैं वो महाराष्‍ट्र के पुणे में स्‍थि‍त है। ज‍िसका नाम त्रिशुंड गणपति मंदिर है। ये सदियों से अटूट भक्ति का प्रतीक बना हुआ है। शहर की चहल-पहल के बीच स्थित ये मंदिर अपनी अनोखी आकर्षण शक्ति से भक्तों को अपनी ओर खींच लेता है। त्रिशुंड गणपति जिन्हें त्रिशुंड विनायक भी कहा जाता है, का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना माना जाता है। बता दें क‍ि पहले ये एक शिव मंदिर था, लेकिन बाद में इसे भगवान गणेश को समर्पित कर द‍िया गया।

कब हुआ था मंदिर का निर्माण

त्रिशुंड मयूरेश्वर गणपति मंदिर का निर्माण 26 अगस्त 1754 को धामपुर (इंदौर के पास) के भिक्षुगिरि गोसावी ने शुरू किया था और ये 1770 में पूरा हुआ। ये मंदिर सोमवार पेठ की व्यस्त गलियों में कमला नेहरू अस्पताल चौक के पास है। मंदिर का सीधा रास्ता नागजरी नदी की धारा तक जाता है।

नाम और महत्व

आपको बता दें क‍ि त्रिशुंड का मतलब है तीन सूंड। जो भगवान गणेश की इस अनोखी मूर्ति की खास‍ियत है। ये प्रतिमा तीन आंखों वाली और छ‍ह भुजाओं वाली है। इस मूर्ति की सबसे बड़ी खास‍ियत ये है क‍ि बप्‍पा अपने वाहन चूहे पर नहीं, बल्कि एक मोर पर सवार हैं। ये मूर्ति कीमती रत्नों से सजी है। जो भी काेई इस मूर्ति को देखता है बस देखता ही रह जाता है। भक्तों का मानना ​​है कि यहां गणेश जी की पूजा करने से किसी भी नए काम में सफलता, ज्ञान और सौभाग्य मिलता है।

अद्भुत प्रतिमा और शिल्प

मंदिर की मूर्ति काले पत्थर से बनी है। भगवान गणेश की आंखों और सूंड पर की गई बारीक कारीगरी उस समय के कलाकारों की अद्भुत कला को दिखाती है। मूर्ति की सूंड में लड्डू भी बनाया गया है।

स्थापत्य और शिल्पकला

मंदिर का सामने वाला हिस्सा कमाल की नक्काशी से भरा है, जिसमें देवी-देवताओं, जानवरों और पुरानी कहानियों के पात्रों की मूर्तियां बनी हैं। इनमें कुछ खास तस्वीरें भी हैं, जैसे एक ब्रिटिश सैनिक ने गैंडे को बांध रखा है। ऐसा माना जाता है कि ये नक्काशी 1757 में हुई प्लासी की लड़ाई के बाद बंगाल और असम पर अंग्रेजों की जीत को दिखाती है। वहीं दूसरी ओर मंदिर की बनावट में मालवा, राजपूताना और द्रविड़ शैलियों का खूबसूरत मेल दिखता है।

गुरु पूर्णिमा पर खुलता है दरवाजा

मंदिर के पीछे वाले हिस्से की बता करें तो यहां साउथ इंड‍िया के मंदिरों की तरह लिंगोद्भव की मूर्ति भी है। दरवाजों की रखवाली करने वाले द्वारपालकों के ऊपर गज-लक्ष्मी की मूर्ति भी बनी हुई है। मंदिर में एक तहखाना भी है, यहां तपस्वी ध्यान करते थे। ये जगह आमतौर पर बंद रहता है। केवल गुरु पूर्णिमा के दिन ही दर्शन के लिए खोला जाता है।

गणेश चतुर्थी पर जगमगा उठता है मंदिर

त्रिशुंड गणपति मंदिर खासतौर पर गणेश चतुर्थी और गुरु पूर्णिमा पर जगमगा उठता है। इन खास मौकों पर भजन-कीर्तन, ढोल-ताशे और भक्तों की सामूहिक प्रार्थना पूरे वातावरण को दिव्यता से भर देते हैं। यहां आकर लोग न केवल पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि आत्मिक शांति और आस्था की अनुभूति भी करते हैं। मान्‍यता है क‍ि भक्‍त यहां आकर जो भी कामना करते हैं, वो पूरी हो जाती है।

कैसे पहुंचें?

ऐसे में अगर आप पुणे में हैं या फ‍िर वहां जाने वाले हैं तो आपको इस मंदिर को अपनी ट्रैवल ल‍िस्ट में जरूर शामिल करना चाह‍िए। पुणे में कमला नेहरू अस्पताल के पास स्थित त्रिशुंड गणपति मंदिर तक आप अपनी कार, स्कूटर या कैब से आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर आप पब्‍ल‍िक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो पुणे जंक्शन रेलवे स्टेशन पर उतरकर ऑटो-रिक्शा या लोकल बस से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। हालांकि, बस के रास्ते सीमित हैं, इसलिए मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको कुछ दूर पैदल चलना होगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments