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मोसाद ने खामेनेई की नाक के नीचे से उड़ाए थे परमाणु दस्तावेज, वो रात जब ईरान की उड़ी गई थी नींद; पढ़ें ऑपरेशन की पूरी ABCD

इजरायल और ईरान (Israel Iran Conflict) के बीच संघर्ष लगातार गहराता जा रहा है। इस संघर्ष में अमेरिका सहित कई देशों की दखल बढ़ती जा रही है। 13 जून की सुबह से शुरू हुए इस संघर्ष का अंत कब होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। हर बीते दिन के साथ ईरान और इजरायल में लोगों की मौत की संख्या में इजाफा हो रहा है।
इजरायल और उद्देश्य है कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु हथियार बनाने से रोकना है। ईरान कई दशकों से परमाणु हथियार बनाने की कोशिश में जुटा है। वहीं, अमेरिका और इजरायल ने कई बार ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने की कोशिश कर चुके हैं।
साल 2018 में भी इजरायल ने ईरान में सेंधमारी की थी। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने मोसाद (Mossad)  ने एक बड़ा ऑपरेशन चलाया था।
दअअसल, ईरान में परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी बेहद कम लोगों के साथ शेयर की जाती है। इन जानकारियों को सीडी या फाइलों में किसी सीक्रेट स्थान पर रखा जाता है। करीब 8 साल पहले इजरायली खुफिया विभाग यानी मोसाद के एजेंट को इस जगह की जानकारी मिल गई। मोसाद ने इस जगह में दाखिल होकर परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी को इकट्ठा करने का प्लान बनाया।
जनवरी 2018 की रात मोसाद के एजेंट तेहरान के बाहरी इलाकों में मौजूद एक सीक्रेट गोदाम में दाखिल हो गए। वहीं, उनके कमांडर दूर सारी गतिविधियों पर नजर रख रहे थे।
ऑपरेशन से जुड़े एक शख्स ने बताया कि ईरान की कितनी सुरक्षित तरीके से इन दस्तावेंजों को रखा था।
जब मोसाद के एजेंट कमरे में दाखिल हुई तो उनकी नजर 32 विशाल ईरानी तिजोरियों पर गई। प्रत्येक तिजोरी की ऊंचाई करीब 2.7 मीटर थी। तिजोरियों को किसी भारी कंटेनर पर रखा गया था। हर तिजोरी पर लोहा का दरवाजा लगा था। इमने अलार्म सिस्टम और कैमरा भी लगा हुआ था।
हालांकि, वर्षों से ईरान में मौजूद मोसाद के एजेंट इन कैमरे को डिएक्टिवेट करना और अलार्म सिस्टम को निष्किय करना और लोहे के दरवाजों को तोड़ना जानते थे।
मोसाद के एजेंट के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि उनके पास इतना समय नहीं था कि वो सभी 32 तिजोड़ी को तोड़ सकें। इसलिए टीम ने सिर्फ 10 तिजोरियों को तोड़ना का फैसला किया।
मोसाद के एजेंट को मुख्य तौर पर तीन फोल्डरों की तलाश थी। इन तीनों फोल्डरों में ही न्यूक्लियर प्रोग्राम से जुड़ी ज्यादातर जानकारी थी।

  • एक फोल्डर में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ ईरान के बीच हुई बातचीत की जानकारी  थी।
  • दूसरे फोल्डर में परमाणु स्थलों के निर्माण और परमाणु उपकरणों के अधिग्रहण का विवरण था।
  • तीसरा सबसे महत्वपूर्ण फोल्डर था। इसमें परमाणु वारहेड के डिजाइन और उत्पादन का विवरण था ।

मोसाद के एजेंट्स किसी तरह इन तीनों फोल्डर्स को ढूंढने में कामयाब रहे। सबसे बड़ी बात यह थी कि मोसाद को तीनों फोल्ड्स के अलावा सीडी, डीवीडी और कंप्यूटर डेस्क मिले। हालांकि, सीडी पर कुछ लिखा नहीं था, लेकिन एजेंटों को कमांड से आदेश मिला था कि तिजोरियों से जो कुछ मिले वो सब ले आओ।

जानकारी के मुताबिक, मोसाद के एजेंट्स जिन दस्तावेजों को उड़ाया, उनमें करीब 114 फोल्डर, 55 हजरा से अधिक पन्ने और 8,500 हाथों से लिखे हुए दस्तावेज मिले। कई दस्तावेज ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लिखे हुए थे। वहीं, कुछ परमाणु वैज्ञानिकों द्वारा लिखी गई जानकारी थी। बता दें कि सुबह 5 बजकर एक मिनट पर मोसाद के एजेंट्स ये सारी जानकारी जुटा कर वहां से फरार हो गए।

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इजरायल ने पता लगाया ईरान का सीक्रेट प्लान

इसके बाद इजरायल ने सभी दस्तावेजों की जानकारी जुटाने शुरू की। दरअसल, ज्यादातर दस्तावेज फारसी लिपि में लिखे थे। इजरायल ने सारे दस्तावेजों को ट्रांसलेट किया। दस्तावेजों से इजरायल को चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।

दरअसल, दो दशकों से ईरान के सैन्य परमाणु कार्यक्रम होने से इनकार किया था, लेकिन दस्तावेजों से जानकारी मिली कि ईरान एक सीक्रेट न्यूक्लियर प्रोग्राम में जुटा है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य 10 किलोटन की क्षमता वाले पांच परमाणु बम बनाना है।
ईरान को पता चल गया था कि मोसाद ने उनके सीक्रेट स्थान पर सेंधमारी किया है। लेकिन ईरान कुछ कर नहीं सकता था। फिर 30 अप्रैल को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मोसाद के इस ऑपरेशन की जानकारी दुनिया को दी। 

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