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किसी राजसी महल से कम नहीं है जैसलमेर की ‘पटवों की हवेली’, 50 सालों में बनकर हुई थी तैयार

नई दिल्ली
गोल्डन सिटी के नाम से मशहूर जैसलमेर (Jaisalmer), राजस्थान के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है। जैसलमेर अपने ऐतिहासिक किलों, रेगिस्तानी रोमांच और आर्किटेक्चर के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। इन्हीं आकर्षणों में से एक है पटवों की हवेली (Patwon Ki Haweli), जो जैसलमेर का दूसरा सबसे मशहूर पर्यटन स्थल है। इसे कोठारी की पटवा हवेली के नाम से भी जाना जाता है। यह हवेली अपनी भव्यता, नक्काशी और इतिहास के लिए जानी जाती है। आइए जानते हैं कि पटवों की हवेली क्यों खास है, इसका इतिहास क्या है और यहां जाने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है।

पटवों की हवेली का इतिहास

पटवों की हवेली का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था। इसे गुमान चंद पटवा नाम के एक अमीर व्यापारी ने बनवाया था, जो जैसलमेर के मशहूर ब्रोकेड और सोने-चांदी के व्यापारी थे। इस हवेली को पांच अलग-अलग हवेलियों का समूह माना जाता है, क्योंकि पाटवा ने अपने पांच बेटों के लिए अलग-अलग हवेलियां बनवाई थीं। यह हवेली राजस्थानी और मुगल वास्तुकला का अनोखा उदाहरण है, जिसमें पीले बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है।

हवेली के मुख्य आकर्षण

शाही नक्काशी और वास्तुकला

पटवों की हवेली की दीवारों पर बारीक नक्काशी की गई है, जिसमें फूल-पत्तियों, जानवरों और पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे गए हैं। इसके झरोखे और मेहराबदार दरवाजे राजस्थानी शिल्पकला का बेहतरीन नमूना हैं।

म्यूजियम

हवेली के एक हिस्से को म्यूजियम में बदल दिया गया है, जहां 19वीं शताब्दी के पुराने सिक्के, कपड़े, पेंटिंग्स और घरेलू सामान प्रदर्शित किए गए हैं। यह म्यूजियम पर्यटकों को उस जमाने की लाइफस्टाइल का अनुभव कराता है।

शानदार बालकनी और आंगन

हवेली में कई खूबसूरत बालकनियां हैं, जिनसे शहर का नजारा दिखता है। इसके अलावा, हवेली के आंगन और छतें भी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

लाइट एंड साउंड शो

रात के समय हवेली को रोशनी से सजाया जाता है, जिससे इसकी सुंदरता और बढ़ जाती है। कभी-कभी यहां लाइट एंड साउंड शो भी आयोजित किया जाता है, जो हवेली के इतिहास को जीवंत कर देता है।

यहां जाने का सबसे अच्छा समय

जैसलमेर का मौसम ज्यादातर गर्म और शुष्क रहता है, इसलिए पटवों की हवेली घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है। इस दौरान तापमान सुहावना रहता है और रेगिस्तान की सैर करना आसान होता है। गर्मियों (अप्रैल-जून) में यहां भीषण गर्मी पड़ती है, जिससे घूमना मुश्किल हो जाता है।

समय और एंट्री फी

  • खुलने का समय- सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
  • एंट्री फी- भारतीय पर्यटकों के लिए लगभग 50 रुपए, विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रुपए
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