अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के लिए बनने वाले गलियारा का समर्थन किया गया। संतों ने कहा कि बढ़ती भीड़ को देख गलियारा आज की जरूरत है, न्यास की भी आवश्यकता है, लेकिन किसी भी तरह सेवा पूजा और भोगराग की परंपराओं में सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
गांधी मार्ग स्थित परमहंस आश्रम में आयोजित बैठक के अंतिम दिन समिति के राष्ट्रीय महामंत्री दंडी स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ठाकुर बांकेबिहारी बिहारी के लिए सरकार ने गलियारा का निर्णय सही लिया है। जिस तरीके से यहां भीड़ बढ़ रही है, उससे गलियारा की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि मैंने मंदिर के न्यास के लिए लाए गए अध्यादेश का अध्ययन किया है। उसमें स्वामी हरिदास परंपरा के भी दो सेवायतों को शामिल किया गया है। न्यास ठीक है, लेकिन ठाकुर जी की भोगराग सेवा, पूजा पद्धति और अन्य परंपराओं में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युद्ध की परिस्थितियों में सेना और सरकार से सवाल नहीं पूछे जाते, सहयोग किया जाता है।
अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
अखिल भारतीय संत समिति पीएम नरेन्द्र मोदी के पीछे चट्टान की तरह खड़ी है। पाकिस्तान के साथ हुए अल्पयुद्ध के बाद वैश्विक परिस्थिति में युद्ध के बने वातावरण में सामान्य नागरिकों को अखिल भारतीय संत समिति आदेश देती है कि हिंदू नागरिक राष्ट्र धर्म में सेना और सरकार के साथ चट्टान की तरह खड़े रहें। इससे पूर्व शुक्रवार को समिति की बैठक में वक्ताओं ने कहा था कि अयोध्या की तरह मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बने।
संतों ने कहा, बढ़ती भीड़ को देख, गलियारा और न्यास जरूरी लेकिन परंपराओं में हस्तक्षेप न करे सरकार
वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्र में सनातन की सेवा के लिए संतों को अहम भूमिका निभानी होगी। अधिक सक्रियता के साथ हम धरातल पर सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की रणनीति तैयार करें। हमें सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हुए लोगों से सनातन संस्कार रोपित करने की जिम्मेदारी भी निभानी है। बैठक में राष्ट्रीय चिंतक लेफ्टिनेंट जनरल रहे राज शुक्ला, कुबेर पीठाधीश्वर अविचल देवाचार्य, महामंडलेश्वर धर्मदेव, हरिहरानंद सरस्वती, फूलडोल बिहारीदास, कोषाध्यक्ष महामंडलेश्वर जनार्दन हरि भी मौजूद रहे।