तेलंगाना में जिन तीन विधायकों को मंत्री बनाया गया है उसमें दो दलित तथा एक ओबीसी वर्ग के हैं। जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग को साधने के लिए रामचंद्र नायक को विधानसभा का डिप्टी स्पीकर बनाया गया है।

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी कांग्रेस हाईकमान को राजी नहीं कर पाए

बताया जाता है कि इस क्रम में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी तमाम प्रयासों के बावजूद अपनी एक पसंद पी सुदर्शन रेडडी को मंत्री बनाने के लिए हाईकमान को राजी नहीं कर पाए।

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दरअसल मंत्रिमंडल विस्तार के लंबे समय से लटकने की वजह तेलंगाना के पुराने कांग्रेसी नेताओं तथा रेवंत समर्थकों की दावेदारी ही नहीं पार्टी की सामाजिक न्याय की राजनीति का नया दांव भी रहा।
यही वजह रही कि मार्च महीने के आखिर में पार्टी हाईकमान से हरी झंड़ी मिल जाने के बावजूद रेवंत को अपने मंत्रिमंडल विस्तार के लिए दो महीने लग गए और फिर भी अपनी पसंद का एक भी चेहरा शामिल नहीं कर पाए।

अंदरूनी खींचतान कांग्रेस पर भारी ना पड़ जाए

दिलचस्प यह भी है कि रेवंत जिस सुदर्शन रेड्डी को कैबिनेट में लाकर गृहमंत्री बनाना चाहते थे उनका प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ भी विरोध कर रहे थे।

वहीं विधानसभा चुनाव के समय सत्ता में भागीदारी की महत्वाकांक्षा से कांग्रेस में वापस लौटे कोमाटीरेड्डी राजगोपाल रेड्डी जैसे कुछ विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है और ऐसे में अंदरूनी खींचतान सहजता से थमने के आसार नहीं है। शायद इसके मद्देनजर ही तेलंगाना मंत्रिमंडल के तीन पद रिक्त रखे गए हैं कि सियासी चुनौती जैसे-जैसे करवट लेगी उसी हिसाब से नेताओं को साधने का प्रयास किया जाएगा।