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बड़े भाई से हुई थी आखिरी बार बात.. नीरज लवानिया और अपर्णा की बेटी ने दिया डीएनए नमूना

अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में जान गंवाने वालों में अकोला के रहने वाले नीरज लवानिया उनकी पत्नी अपर्णा भी शामिल हैं। शुक्रवार सुबह नीरज के बड़े भाई-बहन और रिश्तेदार अहमदाबाद की फ्लाइट पकड़ने दिल्ली रवाना हो गए थे। दोपहर करीब पौने चार बजे परिवार अहमदाबाद पहुंचा। बेटी अपर्णा ने अपना डीएनए नमूना मेडिकल टीम को दे दिया था। डीएनए मिलान के बाद दंपती के शव को स्वजन के सिपुर्द करने की कार्रवाई की जाएगी।

गुजरात के बड़ोदरा में बहुराष्ट्रीय कंपनी एसी नेल्सन में नीरज लवानिया मैनेजर थे। उन्होंने बड़ोदार में अपना घर बना लिया था। बेटी अर्पणा और सास के साथ वहीं रहते थे। नीरज गुरुवार को एअर इंडिया के विमान से पत्नी के साथ लंदन जा रहे थे। विमान रवाना होने से कुछ घंटे पहले बड़े भाई सतीश से नीरज की अंतिम बार फोन पर बातचीत हुई थी। गुरुवार दोपहर परिवार को विमान हादसे की जानकारी मिली।

बेटी ने दिया नमूना

बेटी अर्पणा गुरुवार को ही अहमदाबाद पहुंच गई थीं। दिल्ली मे रहने वाली नीरज की बड़ी बहन कुसुम रात में ही अकोला पहुंच गई थीं। शुक्रवार सुबह सवा छह बजे भाई सतीश, बहन कुसुम, भांजा तरुण और भतीजा कृष्ण कुमार कार से दिल्ली एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए। वहां से डेढ़ बजे की फ्लाइट से दोपहर पौने चार बजे भाई-बहन समेत चारों लोग अहमदाबाद पहुंचे।

विमान हादसे में मृत लोगों के शवों को स्वजन के सिपुर्द करने के लिए वहां तैनात मेडिकल टीम उनका डीएनए नमूना ले रही है। बरामद शवों से डीएनए का मिलान होने के बाद शव को उन्के सिपुर्द किया जाएगा।

आंखों में काटी पूरी रात

विमान हादसे की जानकारी होने के बाद परिवार के लोगों ने पूरी रात आंखों में काटी। वह यहां से बेटी अर्पणा से लगातार संपर्क में रहे। उसे फोन पर ढांढस बंधाते रहे। नीरज की एक बहन हाथरस में रहती हैं। परिवार और मित्र गांव की गलियों में बीते नीरज के बचपन को याद करके रोते रहे।

नीरज अपने परिवार में सबसे खुशमिजाज और जिंदादिल इंसान थे। वह छोटा होने के बावजूद भाइयों का बड़ों की तरह ख्याल रखते थे। भाई बहन उनके व्यवहार को याद करके रो रहे थे। वहीं, स्वजन के अहमदाबाद पहुंचने पर बेटी अर्पणा उनसे लिपटकर रोने लगी।

पिता के निधन पर 13 दिन रहे थे गांव

परिवार के करीबी लोगों ने बताया कि नीरज के पिता महावीर लवानिया ब्लाक में कर्मचारी थे। वर्ष 2024 में पिता के निधन पर नीरज गांव आए थे। वह 13 दिन तक गांव में रहे थे। पिता की तेरहवीं करने के बाद बड़ोदरा गए थे।

अहमदाबाद में अंतिम संस्कार का अनुमान

नीरज लवानिया के भाई सतीश, बहन कुसुम, भांजा और भतीजे समेत चार लोग अहमदाबाद गए हैं। दंपती का शव डीएनए मिलान के बाद स्वजन के सिपुर्द किया जाएगा। जिससे परिवार के करीबी लोगों का अनुमान है कि नीरज और अपर्णा का अंतिम संस्कार स्वजन अहमदाबाद में ही करेंगे। 

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