विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार दोपहर हरे पेड़ों पर आरी चली। एक के बाद एक छह पेड़ों को काट दिया गया। इसमें दो पेड़ शीशम और चार पेड़ पाखर के हैं। यह सभी पेड़ 20 से 25 साल पुराने हैं। अचानक पेड़ों को काटने पर क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
आखिर पेड़ काटने के पीछे क्या वजह थी। पेड़ काटने के बाद कई लोग शाखाएं उठाने पहुंच गए। आगरा ताज ट्रीपेजियम जोन में आता है। बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के यहां पेड़ का कटान नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट पेड़ों को काटने को लेकर गंभीर है। कई सरकारी विभागों पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है। यहां तक पेड़ों को काटने की अनुमति न मिलने पर कई प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चले गए।
अर्जुन नगर स्थित वायु सेना की बाउंड्रीवाल से सटकर बड़ी संख्या में पेड़ लगे हुए हैं। यह सभी पेड़ 15 साल से लेकर 25 साल पुराने हैं। बुधवार दोपहर 12:00 बजे एक के बाद एक आधा दर्जन पेड़ों को काट दिया गया। पेड़ों को काटने पर बड़ी संख्या में क्षेत्रीय लोग वहां मौजूद हो गए।
एक बुजुर्ग महिला ने पेड़ों को काटने का विरोध भी किया, लेकिन आरी नहीं थमी। एक के बाद एक छह पेड़ों को काट दिया गया। इसमें दो पेड़ शीशम और चार पेड़ पाखर के हैं। यह सभी पेड़ 20 से 25 साल पुराने हैं। विश्व पर्यावरण दिवस से ठीक एक दिन पूर्व पेड़ों को जिस तरीके से काटा गया वह पर्यावरण के हिसाब से ठीक नहीं है।
इसकी शिकायत पर्यावरणविद् डा. शरद गुप्ता से की गई है। पेड़ काटने के बाद कई लोग उसकी शाखाओं को उठाने के लिए पहुंच गए। यह पहला मौका नहीं है जब शहर में इस तरीके से पेड़ों को काटा गया है। एक माह के अंदर पेड़ काटने की आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं।