गोल्ड लोन के दुरुपयोग पर लगाम लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से प्रस्तावित नए नियम एक जनवरी 2026 से लागू हो जाएंगे। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आरबीआई से यह सिफारिश की है। साथ ही मंत्रालय ने 2 लाख रुपये से कम के गोल्ड लोन को इन नियमों से छूट देने की भी सिफारिश की है।
आरबीआई ने अप्रैल में गोल्ड लोन से संबंधित ड्राफ्ट मानदंड जारी किए थे और 12 मई तक इस पर हितधारकों से सुझाव मांगा था। प्रस्तावित दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि गोल्ड लोन पर अधिकतम लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात 75% से अधिक नहीं होना चाहिए।
यह सीमा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) की ओर से दिए जाने वाले सभी गोल्ड लोन पर लागू होगी, चाहे लोन का उद्देश्य कुछ भी हो। बुलेट रिपेमेंट लोन (एकमुश्त चुकौती) के मामले में, LTV अनुपात की गणना लोन की परिपक्वता पर देय कुल राशि के आधार पर की जाएगी।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि आरबीआई से उम्मीद है कि वह सभी स्टेकहोल्डर्स और जनता की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए अंतिम दिशानिर्देश जारी करेगा।
बता दें, आरबीआई की ओर से जारी मसौदा दिशानिर्देशों में कहा गया था कि एक ग्राहक पर अब अधिकतम एक किलोग्राम ज्वैलरी के बदले ही लोन ले सकेगा। सोना और चांदी दोनों के लिए यह नियम लागू होगा। सोने के सिक्के के बदले अगर लोन ले रहे हैं तो सिक्का कम से कम 22 कैरेट का और बैंक से खरीदा गया होना चाहिए। अन्य जगहों से खरीदे गए सोने के सिक्के पर गोल्ड लोन नहीं दिया जा सकेगा।
सात दिन के अंदर वापस करना होगा सोना
ड्राफ्ट मसौदे के मुताबिक, एक ग्राहक अधिकतम 50 ग्राम सोने के सिक्के के बदले ही लोन ले सकेगा। चांदी के मामले में प्रति ग्राहक 500 ग्राम की सीमा तय की गई है। लोन का पूरा भुगतान करने के अधिकतम सात दिनों के भीतर गिरवी रखे गए सोने को वापस करना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर वित्तीय संस्था ग्राहक को प्रतिदिन 5000 रुपए के हिसाब से जुर्माना देगी।
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