साथ ही उनके अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई में सक्रिय भूमिका निभा सकेंगे क्योंकि भाषा की समझ में कोई अड़चन नहीं आएगी। आगरा के स्कूलों ने इसे सकारात्मक पहल मानते हुए क्रियान्वयन की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।

विद्यार्थियों के हित में फैसला

सीबीएसई के सिटी कोआर्डिनेटर डा. रामानंद चौहान ने बताया कि सीबीएसई द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार कक्षा तीन से पांच तक के विद्यार्थियों को क्षेत्रीय या मातृभाषा में पढ़ाया जाएगा।

इस लिहाज से स्कूलों में अब बच्चों को हिंदी और ब्रज भाषा, अवधी, भोजपुरी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण की सुविधा दी जा सकेगी, बशर्ते वह भाषा विद्यार्थी के घर में बोली जाती हो।
इस व्यवस्था को लागू करने से पहले अभिभावकों से संवाद कर जानकारी एकत्र करनी होगी कि बच्चे की मातृभाषा क्या है।

जिले के स्कूलों की तैयारी

आगरा जिले के प्रमुख सीबीएसई स्कूलों ने इस दिशा में आवश्यक संसाधनों की समीक्षा आरंभ कर दी है। कुछ स्कूलों ने तो पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कक्षा तीन के विद्यार्थियों के लिए मातृभाषा आधारित शिक्षण माड्यूल तैयार करना भी शुरू कर दिया है।

जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य पुनीत वशिष्ठ ने बताया कि स्कूल में सीबीएसई की नई भाषा नीति को लागू करने को लेकर हम उत्साहित हैं। इस नीति में हम छोटे बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिससे वे आसानी से समझ सकें और सीखने में रुचि लें।
इसमें बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाएगा। पढ़ाई खेल और रोचक गतिविधियों के माध्यम से होगी। इसे लागू करने के लिए सीबीएसई के निर्देशानुसार कमेटी का गठन कर दिया है, जो भाषा नीति को लागू करने की निगरानी करेगी और प्रगति की जानकारी समय-समय पर अपडेट करेगी।
यह जानकारी सीबीएसई को भेजने की तैयारी है। साथ ही हम सीबीएसई द्वारा उपलब्ध कराए गए आनलाइन लिंक के माध्यम से भाषा नीति की प्रगति की निगरानी करेंगे।

शिक्षकों को देंगे प्रशिक्षण

अप्सा अध्यक्ष और प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के निदेशक डा. सुशील गुप्ता ने बताया कि स्कूलों में सुनिश्चित किया जा रहा है कि शिक्षकों को मातृभाषा आधारित शिक्षण के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए।

इसके लिए स्कूलों ने आनलाइन और आफलाइन कार्यशाला आयोजित करने की योजना तैयार की जा रही है, ताकि शिक्षक बच्चों से प्रभावी ढंग से उनकी भाषा में संवाद कर सकें और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जा सके।
नप्सा अध्यक्ष और होली पब्लिक स्कूल के निदेशक संजय तोमर का कहना है कि मातृभाषा में पढ़ाई बच्चों को भावनात्मक और बौद्धिक रूप से अधिक मजबूत बनाने का काम करेगी।
हम सीबीएसई की एक कदम का स्वागत करते हैं। यह पहल से विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगी।

अभिभावकों को होगी आसानी

सीबीएसई के कदम को लेकर अभिभावकों से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। उनका कहना है कि यदि योजना सही ढंग से लागू हो, तो यह शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के साथ भारतीय भाषाओं के संवर्धन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे अभिभावक भी राहत महसूस करेंगे।

कमला नगर निवासी दीप्ति अग्रवाल का कहना है कि बोर्ड के इस निर्णय से जहां बच्चे अधिक आत्मविश्वासी बनेंगे, वहीं अपनी संस्कृति से भी जुड़ाव महसूस करेंगे।
अभिभावक रोहित भार्गव बताते हैं कि अपनी भाषा में पढ़ना बच्चों के लिए एक अलग ही अनुभव होगा, इससे वह विषय को न सिर्फ अच्छी तरह समझ पाएंगे, बल्कि उनकी मजबूत पकड़ भी बनेगी।