पहली बार दोषी पाए जाने पर खिलाड़ी या प्रशिक्षक पर दो वर्ष का प्रतिबंध लगेगा और इस दौरान जीते गए पदक छीन लिए जाएंगे। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर खिलाड़ी पर आजीवन प्रतिबंध लगेगा, साथ ही भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत एफआईआर दर्ज होगी।
खेलों में आयु के जरिये धोखाधड़ी करने वाले खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और खेल प्रशासकों की अब खैर नहीं है। खेल मंत्रालय ने खेलों में एज फ्रॉड के राष्ट्रीय कोड (एनसीएएएफएस) में परिवर्तन की तैयारी कर ली है। परिवर्तित कोड में खेलों में आयु छुपाकर धोखाधड़ी करने वाले खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों पर डोपिंग की तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की ली जाएगी मदद
यह कोड राष्ट्रीय खेल संघों, खेल अकादमियों, स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड पर लागू होगा। साई, खेल संघ अपने खिलाड़ियों की आयु की जानकारी लेने के लिए उनसे दस्तावेज (जन्म प्रमाण पत्र, आधार कोर्ड, स्कूल प्रमाण पत्र) जुटाएंगे। इनकी छानबीन के लिए खेल संघ एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करेंगे। इसके बाद खिलाड़ियों का डिजिटल डाटा बेस तैयार होगा। इसमें रजिस्टर्ड हो चुके खिलाड़ियों को भी नए सिरे से जानकारी देनी होगी। नोडल ऑफिसर आयु संबंधी दस्तावेजों में कुछ गलती पाता है तो उसे मेडिकल परिक्षण के लिए भेजा जाएगा। मेडिकल परिक्षण में बोन टेस्ट के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की भी मदद ली जाएगी।
आवाज उठाने वाले को किया जाएगा सम्मानित
मेडिकल परीक्षण से संतुष्ट नहीं होने पर खिलाड़ी पहली अपील कर सकते हैं। इससे भी संतुष्ट नहीं होने पर केंद्रीय अपीलेट समिति के समक्ष दूसरी अपील की जाएगी। इस पैनल का फैसला अंतिम होगा। दंड का प्रावधान खिलाड़ी, कोच और खेल संघ के अधिकारियों पर भी लागू होगा। मंत्रालय ने आयु धोखाधड़ी मामला सामने लाने वाले व्हिसल ब्लोअर को दो हजार रुपये का सम्मान देने का भी प्रावधान रखा है। हालांकि शिकायत से पहले उसे पांच हजार रुपये जमा कराने होंगे। शिकायत गलत पाए जाने पर ये राशि वापस नहीं होगी।