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नेपाल: पूर्व PM प्रचंड बोले- लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट हों लोग, राजशाही समर्थकों के प्रदर्शन के बाद अपील

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता की आशंका के बीच पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने आह्वान किया है कि देश के नागरिक लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट हों। नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के स्वागत में राजशाही समर्थकों के प्रदर्शन के बाद प्रचंड ने यह आह्वान किया।
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्य विपक्षी दल सीपीएन (माओवादी सेंटर) के चेयरमैन पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है। उन्होंने लोगों से कहा कि उनकी पार्टी लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए काठमांडों में विरोध प्रदर्शन करेगी तब लोग उसमें बड़ी संख्या में एकत्र होने के लिए तैयार रहें। प्रचंड ने यह बयान रविवार को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के पोखरा से काठमांडो लौटने पर उनके समर्थकों की ओर से आयोजित प्रदर्शन की ओर इशारा करते हुए दिया।

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माओवादी नेता ने कहा कि तरह-तरह के बहानों के तहत भ्रष्ट और अवसरवादी तत्व व्यवस्था को कमजोर करने और लोगों के अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसी सभी साजिशों को विफल करना और जनता के अधिकारों की रक्षा करना माओवादियों की जिम्मेदारी है और हम इससे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि हमने निष्क्रिय मोर्चों को सक्रिय करके सभी जातीय क्षेत्रीय मोर्चों को मजबूत करने की नीति अपनाई है। हम धीरे-धीरे सभाएं आयोजित करके सभी मोर्चों को सक्रिय बनाएंगे।

संप्रभुता छीनने की हो रही कोशिश…
प्रचंड ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद लोगों को लोकतांत्रिक अधिकार और संप्रभुता मिली है। इसे उलटने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश को ऐसी ताकतों के कब्जे में नहीं आने दें। केपी शर्मा ओली की वर्तमान सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार भ्रष्ट लोगों को बचाने और अच्छा काम करने वालों को दंडित करने का प्रयास कर रही है। इससे राजशाही समर्थक ताकतों को संकट का फायदा उठाने का मौका मिल रहा है।

ज्ञानेंद्र का हुआ था जोरदार स्वागत…
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच पोखरा से काठमांडो लौटे थे। राजशाही समर्थकों ने हवाईअड्डे पर उनका जोरदार स्वागत किया था। इसमें राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी शामिल थे, जिन्होंने राजा के समर्थन में नारे भी लगाए। लोगों के हाथों में पोस्टर और बैनर थे, जिसमें नेपाल में राजा और राजशाही की वापसी की मांग की गई थी।
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