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Women’s Rights: महिला अधिकारों के बढ़ते हनन के खिलाफ बड़ी पहल, 193 देशों ने लैंगिक समानता को बढ़ाने की खाई कसम

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस बैठक में गंभीर चिंता जताते हुए कहा, ‘महिलाओं के अधिकारों पर हमला हो रहा है। पिछले दशकों में जो उपलब्धियां हासिल की गई थीं, वे अब पीछे जा रही हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘पितृसत्ता का जहर वापस आ चुका है और यह पहले से भी  ज्यादा खतरनाक रूप ले रहा है।
महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों ने सोमवार को लैंगिक समानता को तेजी से हासिल करने के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया। इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग (सीएसडब्ल्यू) की बैठक में महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। संयुक्त राष्ट्र के महिला स्थिति आयोग की वार्षिक बैठक के दौरान एक राजनीतिक घोषणा को सर्वसम्मति से मंज़ूरी दी गई।

इस साल की घोषणा विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही क्योंकि यह 1995 में बीजिंग महिला सम्मेलन की 30वीं वर्षगांठ के मौके पर आई है। जिस ऐतिहासिक सम्मेलन में 189 देशों ने महिला सशक्तिकरण और समानता के लिए 150-पन्नों की कार्ययोजना को मंजूरी दी थी। हालांकि, 30 साल बाद भी कोई भी देश पूरी तरह से लैंगिक समानता हासिल नहीं कर पाया है।

महिला अधिकारों पर बढ़ता विरोध और चिंताएं
संयुक्त राष्ट्र की महिला एजेंसी की हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में करीब 25% देशों ने महिला अधिकारों के खिलाफ विरोध की सूचना दी। मामले में एजेंसी की नीति और कार्यक्रम निदेशक सारा हेंड्रिक्स का कहना है कि वास्तविक संख्या इससे भी अधिक हो सकती है क्योंकि कई देश इस मुद्दे को खुलकर स्वीकार नहीं करते। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस बैठक में गंभीर चिंता जताते हुए कहा, ‘महिलाओं के अधिकारों पर हमला हो रहा है। पिछले दशकों में जो उपलब्धियां हासिल की गई थीं, वे अब पीछे जा रही हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘पितृसत्ता का जहर वापस आ चुका है और यह पहले से भी  ज्यादा खतरनाक रूप ले रहा है।’ उन्होंने इसके कई उदाहरण भी दिए हैं…

  • महिलाओं की प्रजनन और स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारों पर हमला
  • महिला समानता के कार्यक्रमों को कमजोर किया जाना
  • कामकाज और वेतन में भेदभाव जारी रहना
  • महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न बढ़ना

महिलाओं के खिलाफ हिंसा और डिजिटल युग की नई चुनौतियां
एंटोनियो गुटेरेस ने यह भी बताया कि नए तकनीकी प्लेटफॉर्म, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार को बढ़ा रहे हैं। जिसमें ऑनलाइन नफरत और बदले की भावना से बनाए गए वीडियो बढ़ रहे हैं। लगभग 95% डीपफेक वीडियो गैर-सहमति वाले अश्लील वीडियो होते हैं और इनमें से 90% महिलाओं के होते हैं।

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बीजिंग सम्मेलन की महत्वपूर्ण बातें और नई घोषणाएं
1995 के बीजिंग सम्मेलन में 12 मुख्य लक्ष्यों पर सहमति बनी थी, जिनमें प्रमुख रूप से महिलाओं को गरीबी और हिंसा से बचाना और महिला अधिकारों और स्वास्थ्य को आगे बढ़ाना शामिल थे। इसके साथ ही सरकार, व्यापार और शांति वार्ताओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना भी शामिल था। बीजिंग कार्ययोजना पहली बार किसी संयुक्त राष्ट्र दस्तावेज में यह स्पष्ट रूप से कहती थी कि ‘महिलाओं को अपनी यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े फैसले लेने का पूरा अधिकार है, और यह बिना किसी भेदभाव, जबरदस्ती या हिंसा के होना चाहिए।’

नई राजनीतिक घोषणा में क्या खास है?
इस साल अपनाई गई आठ-पन्नों की घोषणा में महिला समानता को तेज करने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही गई है, जिसमें महिलाओं को व्यवसाय और उद्यमिता के लिए ऋण और अन्य सुविधाएं देना। महिलाओं की देखभाल से जुड़ा बिना वेतन वाला काम कम करने के लिए, बच्चों, जरूरतमंदों और विकलांगों के लिए बेहतर देखभाल प्रणाली बनाना। घरेलू कामकाज में बराबर हिस्सेदारी को बढ़ावा देना ताकि महिलाओं पर अतिरिक्त बोझ न पड़े। डिजिटल क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर तकनीकी क्षेत्र में लिंग-अंतर को खत्म करना। लड़कियों की शिक्षा को सुनिश्चित करना और महिलाओं के लिए आजीवन सीखने की व्यवस्था करना।महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए ठोस राष्ट्रीय योजनाएं लागू करना शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए महिला उम्मीदवारों की सिफारिश
इस घोषणा में यह भी सिफारिश की गई कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए महिला उम्मीदवारों को आगे बढ़ाया जाए। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में आज तक कोई महिला महासचिव नहीं बनी हैं।

तीन युवा महिलाओं को बोलने का मिला मौका
इस बार संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्षता सऊदी अरब के राजदूत अब्दुल अजीज अलवासिल ने की। उन्होंने इस सम्मेलन को ‘बीजिंग की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का सुनहरा अवसर बताया। इस बार की बैठक में खास बात यह रही कि उद्घाटन के तुरंत बाद तीन युवा महिलाओं को बोलने का मौका दिया गया, ताकि महिला नेतृत्व को प्राथमिकता मिले।

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