पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के साथ उप प्रधानमंत्री, मॉरीशस के मुख्य न्यायाधीश, नेशनल असेंबली के स्पीकर, विपक्ष के नेता, विदेश मंत्री, कैबिनेट सचिव, ग्रैंड पोर्ट डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के अध्यक्ष और कई अन्य लोग भी मौजूद थे।
जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट पर कुल 200 गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे, जिनमें सांसद, विधायक, राजनयिक दल और धार्मिक नेता शामिल थे। अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी द्वीपीय देश के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे और देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक करेंगे।
मॉरीशस रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने सोमवार को कहा था कि उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नया और उज्ज्वल अध्याय जोड़ेगी। पीएम मोदी मॉरीशस के राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे, प्रधानमंत्री के साथ बैठक करेंगे और द्वीपीय राष्ट्र के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों, राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ भी बैठक करेंगे। वह भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ भी बातचीत करेंगे तथा सिविल सेवा कॉलेज और क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन करेंगे, जिनका निर्माण भारत की अनुदान सहायता से किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माॅरिशस यात्रा को कारोबारी व रणनीतिक कारणों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर कुछ पुरानी तस्वीरें साझा कर अपनी 27 साल पहले मॉरीशस यात्रा की यादें साझा की हैं। पीएम मोदी तब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हुआ करते थे और पार्टी की ओर से अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में हिस्सा लेने मॉरीशस के मोका गए थे।
भारत में विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत मॉरीशस
मॉरीशस में 12 मार्च को राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। भारत और मॉरीशस के बीच समुद्री सुरक्षा, विकास, क्षमता निर्माण में करीबी सहयोग है और लोगों के आपसी संबंधों काफी मजबूत हैं। यह नजदीकी खासकर उन विकास परियोजनाओं में दिखती है, जो भारत की मदद से मॉरीशस में बनाई गई हैं। भारत मॉरीशस का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है। 2023-24 में मॉरीशस, सिंगापुर के बाद भारत में विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
दोनों देशों ने फरवरी 2021 में एक व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौते (सीईसीपीए) पर हस्ताक्षर किए थे, जो दोनों देशों के बीच 15 वर्षों की वार्ता के बाद हुआ था। यह भारत और किसी अफ्रीकी देशे के बीच पहला व्यापारिक समझौता था।