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62वें वालोंग दिवस पर भारत सरकार करेगी भव्य आयोजन, चीन को मिलेगा कड़ा संदेश

भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के निराशाजनक परिणामों के बीच भी भारतीय सेना के पराक्रम के कुछ ऐसे अविस्मरणीय उदाहरण हैं जो सेना की गौरव गाथाओं का अहम हिस्सा है।

भारत-चीन युद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश के वालोंग की लड़ाई में चीनियों को पस्त कर पीछे हटने को बाध्य करने वाले सैनिकों की बहादुरी की मिसाल सेना की ऐसी ही गौरव-गाथा का हिस्सा।

भारतीय सेना वालोंग की इस चर्चित लड़ाई में कुर्बानी देकर मातृभूमि की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए 62वें वालोंग दिवस के उपलक्ष्य में एक महीने तक स्मारक कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू कर रही है। 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा वालोंग स्मरणोत्सव 14 नवंबर तक चलेगा।

भारतीय सेना अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय निवासियों के साथ प्रदेश के सुदूर इलाकों तक में व्हाइट वाटर राफ्टिंग, मोटरसाइकिल-साइकिल रैलियां, युद्धक्षेत्र ट्रैक और हाफ मैराथन जैसे आयोजनों के जरिए अपने शहीद नायकों की स्मृति का सम्मान करेगी।

वालोंग की लड़ाई भारत-चीन के 1962 युद्ध के दौरान यह भीषण लड़ाई किबिथू, नामती त्रि जंक्शन (जो टाइगर माउथ के नाम से प्रसिद्ध है), वालोंग और अरुणाचल प्रदेश के सुदूर पूर्वी हिस्सों में आस-पास की जगहों पर हुआ। यहां भारतीय सेना के संकल्प की अंतिम परीक्षा हुई।

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अक्टूबर 1962 में चीनी सेनाएं जब भारतीय क्षेत्र में आक्रामक रूप से आगे बढ़ीं तो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण वालोंग सेक्टर की रक्षा की जिम्मेदारी सेना के प्रतिष्ठित द्वितीय इन्फैंट्री डिवीजन की बहादुर 11वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड पर आ गई।

इस ब्रिगेड में चार कुमाऊं, चार सिख और 3/3 गोरखा राइफल्स की युद्ध-प्रशिक्षित इकाइयां शामिल थीं जिन्हें एक ऐसे दुश्मन के खिलाफ अपनी जमीन पर डटे रहने का काम सौंपा गया था जो केवल संख्या में ही नहीं बेहतर युद्ध संसाधनों से लैस थे। बेहद प्रतिकूल मौसम, खतरनाक पहाड़ी इलाके और गोला-बारूद की भारी कमी की भारी बाधाओं के बावजूद भारतीय सैनिकों ने इस संग्राम में अद्वितीय वीरता और धैर्य का परिचय दिया।

6 कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों ने निरंतर हाथापाई की और किबिथु और ट्राई जंक्शन में अपने पोस्ट पर डटे रहे। टाइगर माउथ और लैडर्स में 4 सिख रेजिमेंट (सारागढ़ी बटालियन) 3/3 और 2/8 गोरखा राइफल्स के बहादुर योद्धाओं ने अपने प्रसिद्ध खुखरी हाथ में लेकर अदभुत युद्ध कौशल के जरिए दुश्मन को धराशायी कर उसे भारी नुकसान पहुंचाया।

भारतीय सैनिकों ने आगे बढ़ रही चीनी सेना को रोकने के लिए कई जवाबी हमले कर काफी संख्या में उसके सैनिकों को मौत के घाट उतारा और चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोक दिया। सेना की ओर से वालोंग युद्ध के महीने भर चलने वाले स्मरण आयोजन के समापन मौके पर 14 नवंबर को नव पुनर्निर्मित वालोंग युद्ध स्मारक का उद्घाटन भी किया जाएगा।

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