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भारतीय कंपनियों ने इस वित्त वर्ष में अब तक जुटाए 56,340 करोड़ रुपए, एक लाख करोड़ के पार जाएगा आंकड़ा

इस वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में ही आईपीओ बाजार ने फंड उगाही के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।बीती छमाही (अप्रैल-सितंबर) तक भारतीय कंपनियो छह महीनों में ही आईपीओ बाजार ने फंड उगाही के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। ने आईपीओ के जरिए 56,340 करोड़ रुपए जुटाए हैं। इससे पहले, आईपीओ के जरिए सबसे ज्यादा फंड उगाहने का रिकॉर्ड साल 2021-22 का था, तब समान छमाही में 52,325 करोड़ रुपए जुटाए गए थे।

डेटा एनालिटिक्स फर्म प्राइमडेटाबेस के मुताबिक, 2024-25 की पहली छमाही में 40 भारतीय कॉरपोरेट्स ने मेन बोर्ड आईपीओ के माध्यम से 51,365 करोड़ रुपए जुटाए हैं, जो 2023-24 में इसी अवधि में 31 आईपीओ द्वारा जुटाए गए ₹26,311 करोड़ से करीब दोगुना है।

इस छमाही में सबसे बड़ा आईपीओ बजाज हाउसिंग फाइनेंस (₹6,560 करोड़) का था। इसके बाद ओला इलेक्ट्रिक (₹6,146 करोड़) और भारती हेक्साकॉम (₹4,275 करोड़) का स्थान रहा। दूसरी ओर, सबसे छोटा आईपीओ क्रोनॉक्स लैब का था, जिसने सिर्फ़ ₹130 करोड़ जुटाए। औसत डील का आकार ₹1,284 करोड़ था, जो पिछले साल की इसी अवधि में ₹849 करोड़ था। इस 40 में से 22 आईपीओ अगस्त और सितंबर में ही आए।

आनंद राठी एडवाइजर्स के निदेशक वी. प्रशांत राव कहते हैं, इस साल मेनबोर्ड IPO की स्थिति काफी अच्छी है। अगले छह महीने के लिए अब तक नियामक सेबी ने 22 IPO को मंजूरी दी है। ये कंपनियां बाजार से 25 हजार करोड़ रुपए से अधिक जुटाएंगी। इसके अलावा, 50 से अधिक कंपनियों ने SEBI के पास अपने ड्राफ्ट पेपर दाखिल किए हैं और वे मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। कुल मिलाकर इस साल 1 लाख करोड़ से अधिक जुटाए जाने की उम्मीद है।

क्यों आई आईपीओ बाजार में रिकॉर्ड तेजी?

इस साल अब तक आईपीओ को मिली रिकॉर्ड सफलता के पीछे निवेशकों की शानदार प्रतिक्रिया रही है। 38 आईपीओ में से 35 आईपीओ को 10 गुना से ज़्यादा सब्सक्रिप्शन मिला। इनमें से 17 आईपीओ को तो 50 गुना से ज़्यादा आवेदन प्राप्त हुए।

रिटेल निवेशकों ने भी आईपीओ बाजार में जबरदस्त रुचि दिखाई है। बीती छमाही आए आईपीओ में रिटेल निवेशकों से प्राप्त आवेदनों की औसत संख्या दोगुनी से अधिक होकर 20.91 लाख हो गई, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 9.67 लाख थी। खुदरा निवेशकों से सबसे अधिक आवेदन बजाज हाउसिंग फाइनेंस (58.66 लाख) को मिले, उसके बाद अर्केड डेवलपर्स (45.37 लाख) और नॉर्दर्न आर्क (45.13 लाख) का स्थान रहा।

प्राइम डाटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया के मुताबिक, मजबूत लिस्टिंग से निवेशकों का रुझान आईपीओ में बढ़ा है। 2023-24 की पहली छमाही में औसत लिस्टिंग गेन 28.65 फीसदी था, जो अब बढ़कर 34.28 फीसदी हो गया है। बजाज हाउसिंग फाइनेंस ने लिस्टिंग के दिन 136 फीसदी का शानदार रिटर्न दिया, उसके बाद यूनीकॉमर्स ईसॉल्यूशंस (94 प्रतिशत) और प्रीमियर एनर्जीज (87 प्रतिशत) का स्थान रहा। 38 में से 30 आईपीओ इश्यू प्राइस से ऊपर कारोबार कर रहे हैं।

हल्दिया ने कहा, निवेशकों के उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सभी श्रेणियों में औसत सब्सक्रिप्शन निर्धारित साइज का 53.72 गुना रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 31.25 गुना था। औसत रिटेल सब्सक्रिप्शन 33.02 गुना रहा, जबकि पिछले साल यह 28.27 गुना था।

प्रशांत राव आईपीओ में आई तेजी के लिए सकारात्मक आर्थिक कारकों को जिम्मेदार मानते हैं। वे कहते हैं, आईपीओ में उछाल कई प्रमुख मैक्रोइकॉनॉमिक और सेक्टर-विशिष्ट कारकों से प्रेरित है। भारत की जीडीपी 2024-25 में 6.5-7% के बीच बढ़ने का अनुमान है, जो आर्थिक मजबूती को दर्शाता है। भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 24 में 8.2% बढ़ी और चार में से तीन तिमाहियों में यह 8% के आंकड़े के पार रही। महंगाई में भी हाल के महीनों में खासी कमी देखी गई है। इसके अलावा, क्षेत्र-विशिष्ट रुझान भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र से खासकर मैन्युफैक्चरिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बड़ी संख्या में आईपीओ आ रहे हैं। इन क्षेत्रों को सरकार बढ़ावा दे रही है।

दूसरी छमाही में 72 हजार करोड़ की आईपीओ को मिल चुकी मंजूरी

आंकड़े बताते हैं कि दूसरी छमाही में कंपनियां आईपीओ के जरिए और भी ज्यादा पैसे जुटाने जा रही हैं। दूसरी छमाही के लिए 26 कंपनियों को सेबी की मंजूरी मिल गई है, जो कुल 72 हजार करोड़ जुटाने जा रही हैं। वहीं, लगभग 89 हजार करोड़ जुटाने की इच्छुक 55 अन्य कंपनियों को सेबी की मंजूरी का इंतजार है।

प्रशांत राव कहते हैं, आगे आईपीओ लाने जा रही कंपनियों की पाइपलाइन विविध और सभी क्षेत्रों में अच्छी तरह से वितरित है। इनमें वित्तीय सेवा क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां नेशनल सिक्योरिटीज़ डिपॉज़िटरी लिमिटेड और एवनसे फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ लिमिटेड शामिल हैं। ऑटोमोबाइल क्षेत्र से हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड ने तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। इन्फ्रा से JSW सीमेंट और एरिसिनफ़्रा सॉल्यूशंस लिमिटेड जैसी कंपनियां आईपीओ लॉन्च करने की योजना बना रही हैं। अंत में, स्विगी और हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज जैसी प्रौद्योगिकी और ई-कॉमर्स कंपनियां भी आईपीओ पाइपलाइन की विविधता को बढ़ा रही हैं।

क्या आगे भी जारी रहेगी आईपीओ बाजार में तेजी?

हल्दिया कहते हैं, अगर कोई ब्लैक स्वान इवेंट नहीं होता, तो यह साल IPO के सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा। वहीं, प्रशांत राव भी मानते हैं कि निकट भविष्य में आईपीओ की मांग मजबूत रहने की पूरी संभावना है। हालांकि, बाजार की स्थितियों के आधार पर निवेशकों की धारणा बदल सकती है। बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्र में मांग तो कायम रहेगी, लेकिन महंगाई का दबाव और भू-राजनीतिक अस्थिरता बाजार की मांग को प्रभावित कर सकते हैं।

आईपीओ में तेजी के बीच निवेशकों को क्या सावधानी रखनी चाहिए?

प्रशांत राव कहते हैं, रिटेल निवेशकों के लिए बाजार की अस्थिरता और सुधार की संभावना के प्रति सचेत रहना महत्वपूर्ण है। ऐसे क्षेत्र जिन्होंने हाल में तेज वृद्धि देखी है, उनमें खासकर सावधानी बरतनी चाहिए। निवेशकों को अतिउत्साह से बचना चाहिए और इसके बजाय बाजार में आने वाली कंपनियों के दीर्घकालिक बुनियादी सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। संस्थागत निवेशकों के मामले में भी यही होगा। रिटेल और संस्थागत दोनों निवेशकों को कंपनी के मूल्यांकन, क्षेत्र के रुझान और व्यापक आर्थिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही निवेश करना चाहिए।

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