सुल्तानपुर माजरा से पहली बार विधायक बने मुकेश अहलावत दिल्ली सरकार में नया चेहरा होंगे। वह भावी मुख्यमंत्री आतिशी के साथ शनिवार को राजनिवास में मंत्री पद की शपथ लेंगे और समाज कल्याण मंत्रालय संभालेंगे। चार मंत्री पुराने ही रहेंगे, जबकि एक और मंत्री बनाने के लिए अब तक किसी नए नाम की घोषणा नहीं की गई है।
अनुसूचित जाति से आने वाले मुकेश अहलावत को आप अनुसूचित जाति के चेहरे के रूप में पेश करेगी। उन्हें समाज कल्याण मंत्री बनाकर पार्टी डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करेगी। राजकुमार आनंद द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद से समाज कल्याण मंत्री का पद खाली है।
राजकुमार आनंद ने पार्टी में अनुसूचित जाति की उपेक्षा का आरोप लगाकर त्यागपत्र दे दिया था। दिल्ली सरकार की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत सात सदस्य होते हैं।
नए मुख्यमंत्री और नए सदस्यों का कार्यकाल छोटा होगा, क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 तक ही है। कैबिनेट में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन मंत्री पद पर बरकरार रहेंगे।
कौन हैं मुकेश अहलावत
48 वर्षीय दलित नेता मुकेश अहलावत आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद के इस्तीफे से खाली हुई जगह को भरने के लिए कैबिनेट में शामिल किया गया है। आनंद ने अप्रैल में केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी (आप) से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए।
राजस्थान इकाई के सह-प्रभारी भी हैं अहलावत
अहलावत वर्तमान में पार्टी की राजस्थान इकाई के सह-प्रभारी हैं। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा के राम चंद्र चावरिया को 48,042 मतों के अंतर से हराकर सुल्तानपुर माजरा निर्वाचन क्षेत्र में आप को जीत दिलाई थी। पेशे से अहलावत खुद को एक व्यवसायी बताते हैं। 9 नवंबर 1975 को जन्मे अहलावत ने 1994 में रवींद्र पब्लिक स्कूल से 12वीं तक की शिक्षा पूरी की।
2013 में कांग्रेस उम्मीदवार से हारे थे अहलावत
आप में शामिल होने से पहले, उन्होंने 2013 में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के जय किशन से हार गए थे। उपनगरीय विधानसभा सीट सुल्तानपुर माजरा उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। आतिशी और उनकी नई कैबिनेट 21 सितंबर को पद की शपथ लेने वाली है। हालांकि, उनका कार्यकाल संक्षिप्त होगा, क्योंकि अगले साल फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव होने हैं।