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चंद्र ग्रहण के दौरान न करें ये गलतियां, वरना भुगतने होंगे गंभीर परिणाम

वैदिक पंचांग के अनुसार, 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा है। इससे एक दिन पूर्व भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगेगा। इस दिन साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने वाला है। पृथ्वी और चंद्रमा के मध्य सूर्य के उपस्थित होने के चलते चंद्रग्रहण पड़ता है। इस समय पृथ्वी लोक पर राहु-केतु का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके लिए शास्त्रों में ग्रहण के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही है। अनदेखी करने से व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कि चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें –

कब लगेगा चंद्र ग्रहण ?

ज्योतिषियों की मानें तो वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को लगने वाला है। 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा। इसके लिए सूतक मान्य नहीं होगा। हालांकि, ग्रहण के समय इन चीजों से जरूर परहेज करें। वहीं, ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान करें। इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें।

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क्या न करें

  • चंद्र ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ न करें और न ही देवी-देवताओं की प्रतिमा को स्पर्श करें। शास्त्रों में ग्रहण के दौरान भगवान की प्रतिमाओं को स्पर्श करने की मनाही है। इस समय देवी-देवताओं के नामों का मंत्र उच्चारण करें।
  • ज्योतिषीयों की मानें तो चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके लिए ग्रहण के समय भूलकर भी खाना न पकाएं। इस समय भोजन करने की भी मनाही होती है। अत: ग्रहण के समय खानपान से परहेज करें। बीमार व्यक्ति, बच्चे और गर्भवती महिलाओं को आवश्यकता पड़ने पर खाने की अनुमति है।
  • ग्रहण के समय सोना भी नहीं चाहिए। इसके लिए चंद्र ग्रहण के समय न सोएं। ऐसा करने से सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान नुकीली चीजों का प्रयोग न करें। इस समय कैंची, चाकू और सुई आदि चीजों से परहेज करें। इसके साथ ही ग्रहण के समय श्मशान एवं नकारात्मक जगहों पर जाने से परहेज करें।

क्या करें

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  • चंद्र ग्रहण के दौरान इस समय भगवान विष्णु के नामों का मंत्र जप करें। इसके साथ ही महामृत्यंजय मंत्र का जप करें। ऐसा करने से जातक पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है।
  • ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान करें। घर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु या महादेव की पूजा करें।
  • ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान और पूजा-पाठ से निवृत्त होकर आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें। आप साबुत अनाज का दान कर सकते हैं।
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