इन दिनों इनफर्टिलिटी (Infertility) की समस्या तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। वर्तमान में सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी इसका शिकार हो रहे हैं। इनफर्टिलिटी (Infertility) की कई वजह से हो सकती हैं। इसी बीच अब इसे लेकर हाल ही में एक ताजा स्टडी सामने आई है। इस अध्ययन में यह पता चला कि पुरुषों और महिलाओं में बांझपन को विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से जोड़ा गया है।
डेनमार्क में हुए इस शोध से पता चला कि कैसे वायु और नॉइज से होने वाला पॉल्युशन पुरुषों और महिलाओं में बांझपन के खतरे हो बढ़ाता है। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार से-
क्या कहती है स्टडी?
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक वायु प्रदूषण पुरुषों में और ध्वनि प्रदूषण से महिलाओं में बांझपन का खतरा बढ़ाता है। इस शोध में 30 से 45 साल के 526,056 पुरुषों और 377,850 महिलाओं को शामिल किया गया। हालांकि, इस स्टडी में नसबंदी कराने वाले पुरुषों और प्रेग्नेंसी रोकने के लिए सर्जरी कराने वाली महिलाओं को शामिल नहीं किया।
प्रदूषण और इनफर्टिलिटी का कनेक्शन?
अध्ययन में सामने आया कि औसतन पांच साल तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले पुरुषों में बांझपन का खतरा अधिक था। वहीं, ध्वनि प्रदूषण महिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण था। ट्रैफिक की वजह से होने वाले शोर 35 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं और संभवतः 37 वर्ष से ज्यादा उम्र के पुरुषों में इनफर्टिलिटी का खतरा ज्यादा था।
पांच वर्षों में औसत से 2.9 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर ज्यादा पीएम2.5 के स्तर के संपर्क में आने से इनफर्टिलिटी का खतरा 24 प्रतिशत बढ़ गया। वहीं, 18 साल की अवधि के दौरान, 16,172 पुरुषों और 22,672 महिलाओं में इनफर्टिलिटी की पहचान की गई।
क्या है इनफर्टिलिटी?
नियमित, असुरक्षित यौन संबंध के कम से कम एक साल के बाद भी कंसीव ने कर पाने कू स्थिति को इनफर्टिलिटी के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें प्रदूषण के अलावा, तंबाकू और शराब के उपयोग, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन, विभिन्न पुरानी बीमारियां, मोटापा और जरूरत से ज्यादा कम वजन होना शामिल हैं।