डेढ़ वर्ष के लंबे इंतजार के बाद दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की वार्ड कमेटियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई है। तमाम संकटों के बीच शुक्रवार को नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई, लेकिन अभी जब तक चुनाव संपन्न नहीं हो जाते तब तक कमेटियों के गठन पर संकट के बाद ही मंडरा रहे हैं।
12 पीठासीन अधिकारी करने होंगे नियुक्त
नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब मामला मेयर डॉ. शैली ओबेराय के पाले में चला गया है। सभी वार्ड कमेटियों के चुनाव को संपन्न कराने के लिए मेयर को 12 वार्ड कमेटियों के लिए 12 पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने होंगे।
यह काम चुनाव के दिन से पहले होना जरूरी है। नहीं, तो चुनाव नहीं हो पाएंगे। पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए निगम सचिव कार्यालय ने फाइल को मेयर कार्यालय में भेज दिया है। अब मेयर को इस पर चार सितंबर को चुनाव से पहले निर्णय लेना है।
पार्षदों ने हाईकोर्ट जाकर कम समय को बनाया था मुद्दा
आम आदमी पार्टी का रुख अभी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि पार्षदों ने हाईकोर्ट में जाकर कम समय दिए जाने का मुद्दा बनाया था। हालांकि कोर्ट से राहत न मिलते देख याचिका को वापस ले लिया था। मेयर भी पार्षदों के पक्ष में खड़ी नजर आई थी और निगमायुक्त को तारीख बदलने का आदेश भी दिया था। ऐसे में अब देखना होगा कि मेयर पीठासीन अधिकारी नियुक्त करती हैं या नहीं।
दिल्ली नगर निगम के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन विनियम के अनुच्छेद 53 (1) में निगमायुक्त के पास अधिकार होता है कि वह वार्ड कमेटियों के चुनावों की तारीखों को तय करें जबकि अनुच्छेद 54 (1) में मेयर के पास यह अधिकार है कि वार्ड समेत अन्य समितियों के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करें।
इसमें उस पार्षद को पीठासीन अधिकारी नियुक्त करेगी जो कि संबंधित वार्ड कमेटी में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद का प्रत्याशी न हो। उल्लेखनीय है कि पीठासीन अधिकारी का कार्य वार्ड कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करना होता है।
इसके बाद वह जब तक आसन पर रहते हैं तब तक कि वार्ड कमेटी के अध्यक्ष का निर्वाचन नहीं हो जाता। अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद पीठासीन अधिकारी अपना आसन अध्यक्ष को ग्रहण कराकर अन्य सदस्यों के साथ अपने स्थान पर बैठ जाते हैं।