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विदेश में बसने के लिए हर किसी को लेना होगा टैक्स क्लीयरेंस? क्या कहते हैं सरकारी नियम

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में बसने वालों की तादाद बढ़ी है। इनमें कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनकी छवि संदिग्ध है। वे टैक्स देनदारी या कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए देश छोड़ने का रास्ता अपनाते हैं।

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यही वजह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 में एलान किया कि अगर कोई भी भारतीय विदेश में बसना चाहता है, तो उसे पहले भारत में अपनी टैक्स देनदारी खत्म करनी होगी। साथ ही, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से ‘क्लीयरेंस’ लेना होगा।

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इससे कई लोगों को कंफ्यूजन हो रही थी। उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि यह नियम सभी विदेश जाने वालों के लिए है या फिर कुछ लोगों के लिए। हालांकि, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने स्पष्टीकरण देकर कई चीजें साफ की हैं।

CBDT ने क्या कहा?

CBDT ने पिछले दिनों इनकम टैक्स क्लियरेंस सर्टिफिकेट (ITCC) के बारे में कंफ्यूजन दूर करने की कोशिश की। उसने कहा, ‘सेक्शन 230(1ए) के संशोधन का संबंध ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और टैक्स एक्ट, 2015 (ब्लैक मनी एक्ट) से है। इसमें टैक्स देनदारी को अधिक स्पष्ट करने की कोशिश की गई है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि देश छोड़ने वाले सभी नागरिकों के लिए ITCC जरूरी है।

किसके लिए जरूरी है ITCC

आईटीसीसी को 2003 में लागू किया गया था। उस वक्त कुछ लोगों के लिए ही यह क्लीयरेंस लेना जरूरी थी, ज्यादातर दुर्लभ मामलों में। इस मामले में वित्त मंत्रालय ने भी स्पष्टीकरण जारी किया था।

  • अगर कोई शख्स गंभीर वित्तीय अनियमितता में शामिल है और जांच के लिए उसकी मौजूदगी जरूरी है।
  • अगर उस पर 10 लाख रुपये से ज्यादा टैक्स बकाया है, जिस पर किसी अथॉरिटी ने रोक नहीं लगाई है।
  • इन मामलों में भी वरिष्ठ अधिकारियों की मंजूरी लेने के बाद ही ITCC की डिमांड की जा सकती है।
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