शहीद अशफाक उल्ला खां (चिड़ियाघर) में आने वाले दर्शक जेब्रा नहीं देख सकेंगे। इन्हें मानव का साथ पसंद नहीं आ रहा। फरवरी में लखनऊ चिड़ियाघर गई टीम पांच महीने तक जेब्रा के जोड़ो के पास रही लेकिन उन्हें अपना नहीं बना सकी।
पांच माह बाद भी टीम के सदस्यों को देखकर जेब्रा भाग रहे थे। इससे उन्हें वापस बुला लिया गया। इसके साथ ही इजरायल से गोरखपुर चिड़ियाघर के लिए लाए गए जेब्रा अब लखनऊ चिड़ियाघर में ही रखने की तैयारी है।
दिसंबर 2021 में इजरायल से लाखों रुपये खर्च करके गोरखपुर चिड़ियाघर के लिए छह जेब्रा लाए गए थे। इसमें एक की मृत्यु 36 घंटे बाद रास्ते में ही हो गई। करीब एक सप्ताह का सफर तय करने के बाद सभी जेब्रा लखनऊ पहुंचे और उन्हें कुछ महिनों के लिए वहां के चिड़ियाघर में रख दिया गया।
तीन महीने बाद एक और जेब्रा की मृत्यु हो गई। इधर गोरखपुर चिड़ियाघर में बाड़ा तैयार करने के बाद बचे जेब्रा के दो जोड़ों को लाने के लिए यहां से एक टीम भेजी गई। जो दो महीने बाद ही लौट आई। वर्ष 2023 में उसी टीम को दोबारा भेजते हुए जेब्रा के बीच रहने के लिए तीन महीने का समय दिया गया। लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
इस बार उच्चाधिकारियों के निर्देश पर विशेषज्ञ के साथ दो सदस्यीय टीम शारुख और प्रदीप को भेजा गया। जो साथ रहकर जेब्रा के स्वभाव को समझने व घुलने मिलने की कोशिश की। लेकिन इस टीम को भी विशेषज्ञ की रिपोर्ट के बाद वापस लौटना पड़ा। अब चिड़ियाघर प्रशासन छह माह बाद जेब्रा को दूसरे जगह से लाने की प्रस्ताव बनाएगा।
शर्मीले स्वभाव का होता है जेब्रा, नहीं पसंद है शोरगुल
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि ये छोटी सी आहट या हलचल से चौकान्ने हो जाते हैं। ये बहुत ही संवेदनशील वन्यजीव में आते है। चिड़ियाघर में पहले इनका बाड़ा शेर और टाइगर के बाड़े के बीच में बनाया गया था। लेकिन इनके स्वभाव को देखते हुए अब दूर कर दिया गया है।
डीएफओ/निदेशक चिड़ियाघर विकास यादव ने कहा कि विशेषज्ञों की राय के बाद जेब्रा को लाने के लिए लखनऊ गई टीम वापस चली आइ है। अब छह महीने बाद ही जेब्रा को लाने के बारे में प्रस्ताव बनेगा। उच्चाधिकारियों का जैसा निर्देश होगा उसी आधार पर लखनऊ चिड़ियाघर या दोबारा इजरायल से जेब्रा लाने की तैयारी होगी।