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Paris Olympics 2024 पर भड़कीं कंगना रनौत, कहा- सेक्सुएलिटी हमारे बेडरूम तक क्यों नहीं रह सकती?

एक्ट्रेस और पॉलिटिशयन कंगना रनौत (Kangana Ranaut) किसी भी मुद्दे पर अपनी बात कहने से पीछे नहीं हटती हैं। किसी व्यक्ति या किसी कार्य के खिलाफ कुछ भी कहना हो, कंगना निडर होकर अपनी राय रखती हैं। इस बार उनका निशाना पेरिस ओलंपिक गेम रहा।

पेरिस ओलंपिक 2024 का शानदार आगाज हो चुका है। विश्व खेल जगत के इस सबसे बड़े इवेंट पर पूरी दुनिया की नजर है। जहां हर कोई पेरिस ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी की तारीफ कर रहा है, वहीं कंगना रनौत ने इसकी आलोचना की है।

पेरिस ओलंपिक में इस बात की कंगना ने की आलोचना

सोशल मीडिया पर ओलंपिक सेरेमनी से कुछ तस्वीरें शेयर कर कंगना ने बताया कि इसमें उन्हें क्या नहीं अच्छा लगा। कंगना ने सेरेमनी के तमाम इवेंट्स में से एक ‘द लास्ट सपर’ एक्ट के फोटो और वीडियो शेयर किए। उन्होंने एक बच्चे को शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई।

एक्ट्रेस ने लिखा, ‘पेरिस ओलंपिक ने अपने हाइपर सेक्शुअलाइज्ड एक्ट द लास्ट सपर में बच्चे को शामिल किया। इतना ही नहीं, उन्होंने बिना कपड़ों के एक व्यक्ति को दिखाया, जिस पर नीले रंग का पेंट है और वह जीजस है। इन्होंने ईसाई धर्म का मजाक बनाया है। वामपंथियों ने 2024 ओलंपिक को पूरी तरह से हाईजैक कर लिया है।’

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कगंना ने वह फोटो भी शेयर की, जिसमें एक व्यक्ति नीले रंग से पेंटेड है। एक्ट्रेस ने लिखा, ‘पेरिस ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी में बिना कपड़ों के इस व्यक्ति को ईसा मसीह दिखाया गया है।’

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इस फोटो पर भी बिफरीं कंगना

कंगना यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने एक अन्य तस्वीर शेयर की, जिसमें गर्दन को हाथ में पकड़े एक महिला खड़ी है। इसे लेकर एक्ट्रेस ने लिखा, ‘क्या इसी तरह फ्रांस ने ओलंपिक 2024 का स्वागत किया…और इस तरह के एक्ट्स का संदेश क्या है?? सैटन की दुनिया में आपका स्वागत है? क्या वह यही दिखाना चाहते हैं?’

कंगना ने एक फोटो कोलाज शेयर करते हुए अपनी बात को इस नोट पर खत्म किया कि ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी में सब कुछ पर होमोसेक्शुअलिटी पर आधारित था।

उन्होंने लिखा, ”मैं होमोसेक्शुअलिटी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन ये बात मेरी सोच से परे है कि ओलंपिक सेक्शुअलिटी से कैसे जुड़ा हो सकता है? मानवीय उत्कृष्टता का दावा करने वाले सभी देशों के खेलों में भागीदारी पर सेक्सुअलिटी का कब्जा क्यों हो रहा है? सेक्सुअलिटी सिर्फ हमारे बेडरूम तक ही क्यों नहीं रह सकता? यह नेशनल आइडेंटिटी क्यों बन गया है?”

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