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हिमाचल में रहेगी डबल इंजन सरकार या बदलेगा रिवाज? मतदान आज, 10 प्वाइंट में जानें पूरा समीकरण

हिमाचल प्रदेश की सभी 68 विधानसभा सीटों के लिए आज मतदान हो रहा है। सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक वोटर्स अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। 55 लाख से अधिक मतदाता माननीयों की किस्मत का फैसला करेंगे। राज्य में स्वतंत्र एवं पारदर्शी तरीके से चुनाव संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं। राज्य की सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी गई है। बीजेपी और कांग्रेस को छोड़कर राज्य में अबतक किसी और दल की सरकार नहीं बन पाई है। इस बार के चुनाव में बीजेपी का जोर जहां सत्ता परिवर्तन के ट्रेंड को बदलने का रहा है वहीं कांग्रेस रिवाज पर कायम है। जनता का फैसला क्या है इसका पता तो आठ दिसंबर को चलेगा। 10 प्वाइंट्स में जानिए पूरा राजनीतिक समीकरण:

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जोर इस बात पर रहा है कि ‘निरंतरता’ विकास की कुंजी है। पार्टी का मुख्य तर्क यह है कि ‘डबल इंजन’, राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकारें यह सुनिश्चित करेंगी कि काम बाधित न हो। पार्टी सत्ता परिवर्तन के ट्रेंड को खत्म करने के लिए उत्तराखंड का उदाहरण दे रही है।
2. कांग्रेस जिसका कहना है कि यह चुनाव स्थानीय मुद्दों के बारे में है, चाहती है कि मतदाता चार दशक पुरानी परंपरा को निभाएं। वीरभद्र सिंह के निधन के बाद से नेतृत्व संकट से घिरी पार्टी का कहना है कि वह सत्ता में वापस आएगी क्योंकि उसका सीट-वार टिकट आवंटन ‘पहले की तुलना में काफी बेहतर’ है। वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह राज्य इकाई प्रमुख हैं जबकि उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह चुनावी मैदान में हैं।
3. बीजेपी में जिसके 21 नेता बागी हैं, के लिए यह मुकाबला उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की प्रतिष्ठा का भी मुद्दा बना गया है। वह कभी प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में राज्य में मंत्री थे। धूमल उन लोगों में शामिल हैं जो चुनाव नहीं लड़ रहे हैं- उन्होंने जोर देकर कहा कि वह खुद सेवानिवृत्त हुए हैं। हालांकि उन्हें और अन्य लोगों को ‘टिकट नहीं देने’ की चर्चाओं ने सुर्खियां बटोरीं थीं। वहीं कई नेता मंच पर रोए पड़े थे।
4. बीजेपी ने केंद्रीय मंत्रियों और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हिमाचल में प्रचार करने के लिए अपनी हिंदुत्व विचारधारा के एक आक्रामक चेहरे के रूप में प्रचार के लिए उतारा। कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा ने रैलियां कीं, जबकि उनके भाई राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के लिए ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को नहीं छोड़ा। 24 साल में कांग्रेस के पहले गैर-गांधी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पार्टी के लिए प्रचार किया।
5. कांग्रेस ने पीएम मोदी के गढ़ गुजरात में एक कम महत्वपूर्ण अभियान चलाया, जहां अगले महीने मतदान होने हैं। वहीं पार्टी को पूरा भरोसा है कि पहाड़ी राज्य अपनी परंपरा को निभाएगा और इस बार उसकी सरकार बनेगी। यह बात और है कि पार्टी लगभग दो वर्षों में नौ राज्यों में जीतने या महत्वपूर्ण प्रभाव डालने में विफल रही है।
6. इस साल की शुरुआत में कांग्रेस को हिमाचल के पड़ोसी राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी। आप हिमाचल से चुनाव लड़ रही है, लेकिन उसका ज्यादा ध्यान गुजरात पर है।
7. 2004 से पहले की पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का कांग्रेस का वादा एक बड़ा मुद्दा बन गया है क्योंकि राज्य में 2 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं। बीजेपी ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने और 8 लाख नौकरियों का वादा किया है। पेंशन पर उनका कहना है कि ‘अगर कोई पुरानी योजना को बहाल करेगा तो वह बीजेपी होगी।’
8. ये चुनाव अगले साल होने वाले नौ राज्यों के चुनावों से पहले हो रहे हैं, जिनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी हार्टलैंड शामिल हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में फिलहाल कांग्रेस सरकार है।
9. सिराज से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अलावा, कसुंपटी से मंत्री सुरेश भारद्वाज, हरोली से कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री, शिमला ग्रामीण से विक्रमादित्य सिंह और कांग्रेस प्रचार समिति के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू महत्वपूर्ण उम्मीदवारों में शामिल हैं।
10. सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा। चुनाव आयोग ने दूर-दराज के तीन इलाकों सहित 7,884 मतदान केंद्र बनाए हैं। इसका सबसे ऊंचा बूथ लाहौल-स्पीति जिले के काजा के ताशीगंग में 15,256 फीट की ऊंचाई पर है। जिसे
52 मतदाताओं के लिए बनाया गया है।
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