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कर्नाटक में भाजपा ने चला SC-ST आरक्षण बढ़ाने का दांव, दूसरे समुदाय बढ़ा सकते हैं तनाव

कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की सीमा 15 से 17 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा को 3 से 7 फीसदी तक बढ़ा दिया है। अध्यादेश को राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है। बोम्मई सरकार के इस कदम के बाद इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि भाजपा एक कठिन विधानसभा चुनाव का सामना करने वाली है। सरकार का यह कदम कितना निर्णायक होगा, इस पर भी निर्भर करेगा क्योंकि इससे पहले राज्य के अन्य समुदाय पंचमासली लिंगायत, वोक्कालिगा, बेड़ा जंगमा और कुरुबास भी आरक्षण संबंधी मांग उठा चुके हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव पर असर पड़ना लगभग तय है।

कर्नाटक में बसवराज बोम्मई की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने ऐतिहासिक फैसला ले लिया। आरक्षण की 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन करते हुए प्रदेश सरकार ने अब गेंद राज्यपाल थावर चंद गहलोत के पाले में डाल दी है। अब उनकी मुहर लगते ही प्रदेश में आरक्षण की सीमा 56 फीसदी तक पहुंच जाएगी। बोम्मई मंत्रीमंडल ने बीते 8 अक्टूबर को अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को मंजूरी किया था। गुरुवार को सीएम बोम्मई ने ट्वीट कर मामले की जानकारी दी। कर्नाटक में सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की सीमा 15 से 17 फीसदी कर दी है वहीं, अनुसूचित जनजाति के लिए 3 से 7 फीसदी तक बढ़ा दिया है।

विपक्ष से ली मंजूरी
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने 7 अक्टूबर को एक सर्वदलीय बैठक में एससी के लिए 2% से 17% और एसटी के लिए 4% से 7% तक आरक्षण बढ़ाने पर चर्चा की थी। आरक्षण की सीमा को बढ़ाने के लिए सरकार ने कांग्रेस और जेडीएस सहित सभी दलों की सहमति ली। इसके एक दिन बाद कैबिनेट ने इस पर मंजूरी दी। हालांकि, सरकार ने अपने नए आरक्षण कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की योजना को तत्काल भविष्य में न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए छोड़ दिया।

अन्य समुदायों की मांगों का क्या होगा
राज्य सरकार ने विधेयक पारित करने से पहले और केंद्र से इसे नौवीं अनुसूची के तहत रखने का अनुरोध करने से पहले पंचमासली लिंगायत, वोक्कालिगा, बेड़ा जंगमा और कुरुबास सहित अन्य समुदायों से आरक्षण संबंधी मांगों की जांच करने के बाद ऐसा करने का फैसला किया है। कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी, जिन्होंने इस फैसले के बारे में मीडिया को जानकारी दी ने कहा कि सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के कोटे में बदलाव किए बिना एससी और एसटी कोटा बढ़ाएगी।

मुस्लिमों के लिए बढ़ेगा कोटा?
मधुस्वामी ने एससी और एसटी के लिए मुस्लिमों के लिए कोटा बढ़ाने की संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से निर्णय को लागू करने के बारे में सोचा था, लेकिन इस तरह के आदेश से मुकदमेबाजी में फंसने का खतरा था। इसी संदर्भ में सरकार ने एससी, एसटी कोटे में बदलाव को प्रभावी करने के लिए एक अलग कानून बनाने का फैसला किया।

स्टालिन भी कर चुके हैं ऐसा
कानून मंत्री ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि केंद्र की भाजपा सरकार हमारे फैसले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा। मधुस्वामी ने कहा, नौवीं अनुसूची के तहत एक कानून को शामिल करने की गारंटी नहीं है कि यह कायम रहेगा क्योंकि नौवीं अनुसूची के तहत संरक्षित तमिलनाडु सरकार की इसी तरह की नीति को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। तमिलनाडु पहला राज्य था जिसने आरक्षण की सीमा को तोड़कर 69% तक ले लिया, और इसे नौवीं अनुसूची के तहत रखा।

 

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