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बाढ़, बीहड़ और बेबसी: चंबल का रौद्र रूप से देख ग्रामीणों ने छोड़ा गांव, टीलों पर गुजारी रात, ऐसे हैं हालात

आगरा जिले के बाह और पिनाहट क्षेत्र में चंबल नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बुधवार की सुबह गांव, घर और खेत-खलिहानों में बाढ़ का पानी भर गया है। बाढ़ से बचने के लिए ग्रामीणों ने रात में ही गांव से जाना शुरू कर दिया। बीहड़ के ऊंचे टीलों पर ग्रामीणों ने रात काटी। बाह तहसील के झरनापुरा गांव में तो मंगलवार रात 11 बजे ही चंबल का पानी पहुंच गया। गांव की बिजली बंद है। टॉर्च की रोशनी में अपनी जरूरी सामान लेकर प्रभावित परिवार बीहड़ के ऊंचे टीलों पर पहुंच गए। गांव के नेत्रपाल वर्मा और हरेंद्र वर्मा ने बताया कि बाढ़ से गांव में मगरमच्छ आने का खतरा भी बढ़ गया है। उन्होंने ग्रामीणों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासन से मोटरबीट की मांग की है। भगवान पुरा गांव के लोग भी देर रात निचले इलाके के घरों को खाली कर बीहड़ के टीलों पर तंबू तानने में जुटे रहे। उभरे पुरा के लोगों ने भी ऊंचाई वाले इलाकों में डेरा डाला है।

कोटा बैराज से 12 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद चंबल नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। बुधवार की सुबह 10 बजे तक नदी का जलस्तर 132  मीटर पर पहुंच गया। जबकि खतरे का निशान 130 मीटर है। 17 से अधिक गांवों का संपर्क तहसील व जिला मुख्यालय से कट गया है। स्कूल, खेत खलिहान और घरों में पानी भरने लगा है।

बाह के 10 गांवों मऊ की मढै़या, गोहरा, रानी पुरा, भटपुरा, गुढ़ा, झरना पुरा, डगोरा, कछियारा, रेहा, उमरैठापुरा का तहसील मुख्यालय से संपर्क कट गया है। बाढ़ के आगे बेबस लोग अपने गांव छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। रात से ग्रामीणों के सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का सिलसिला जारी है।
पुरा शिवलाल, पुरा डाल, पुरा भगवान, धांधू पुरा, बीच का पुरा, कएडी, जगतूपुरा, कुंवर खेड़ा, बासौनी, जेबरा, कमौनी, उदयपुर खुर्द, खेड़ा राठौर, महुआशाला, नंदगवां, बाघराज पुरा, कोरथ आदि गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। एसडीएम रतन वर्मा ने बताया कि 38 गांव में बाढ़ का खतरा है।
एसडीओ जैतपुर मनमोहन शर्मा ने बताया कि एहतियातन देवपुरा फीडर के गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा तथा अभयपुरा फीडर के गुढ़ा गांव की बिजली काट दी गई है। अंधेरे में डूबे इन गांवों के लोगों को वन्यजीवों के हमले का डर सता रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ के पानी के साथ घड़ियाल, मगरमच्छ, सांप आदि गली और घरों तक आ जाते हैं।
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