आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन शासन की ओर से निर्धारित परीक्षा फीस से 50 फीसदी अधिक फीस ले रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत संचालित बीए, बीएससी व बीकॉम पाठ्यक्रमों में प्रति सेमेस्टर 1700 रुपये परीक्षा फीस छात्र-छात्राएं जमा कर रहे हैं।
शासन की ओर से फीस निर्धारित किए जाने से छात्र-छात्राएं खुश हैं। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
शासन ने राज्य विश्वविद्यालयों में संचालित स्नातक स्तर के बीए, बीएससी, बीकॉम, बीबीए, बीसीए, बीएफए, बीएड, बीपीएड व अन्य कोर्स की 800 रुपये प्रति सेमेस्टर, एलएलबी, बीएससी एग्रीकल्चर (ऑनर्स), विधि ऑनर्स, बीटेक, बीएससी बायोटेक, बीलिब की 1000 रुपये प्रति सेमेस्टर व बीडीएस, नर्सिंग, बीएएमएस व बीयूएमएस की 1500 रुपये प्रति सेमेस्टर फीस निर्धारित की है। विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में सर्वाधिक छात्र-छात्राएं बीए, बीएससी व बीकॉम पाठ्यक्रमों में हैं। विश्वविद्यालय शासन स्तर से घोषित फीस को लागू करता है तो छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत मिलेगी।
परीक्षा फीस कम करने का निर्णय अच्छा है। छात्रों पर ट्यूशन फीस का अधिक भार होता है, ट्यूशन फीस भी कम करनी चाहिए। – अभिमन्यु गौतम, एलएलबी द्वितीय वर्ष के छात्र
फीस निर्धारण से थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। सरकार को ट्यूशन फीस को भी कम करने पर विचार करना चाहिए। – पायल चौधरी, बीएएलएलबी पंचम वर्ष की छात्रा
स्नातक पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर व्यवस्था लागू होने के बाद विश्वविद्यालय ने छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ा दिया है। छात्रों को दोगुनी फीस देनी पड़ी रही। सरकार आदेश को कड़ाई से लागू कराए तो राहत मिलेगी। – गौरव शर्मा, विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष
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शासन स्तर से फीस निर्धारण ने विश्वविद्यालय प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। विश्वविद्यालय से संबद्ध अलीगढ़ मंडल के 408 कॉलेज राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध हो गए हैं। करीब 40 फीसदी छात्र-छात्राएं कम हो गए हैं। निर्णय के लागू होने के बाद परीक्षा फीस आधी हो जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन इस बात से परेशान है कि वह अपना खर्च कैसे उठाएगी। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक ओमप्रकाश का कहना है कि फिलहाल पूर्व निर्धारित परीक्षा फीस ली जा रही हैं। शासन स्तर से फीस के संबंध में मार्गदर्शन मांगा जाएगा। जो भी निर्देश मिलेंगे, उन पर अमल किया जाएगा।