आगरा
बेबी ताज के नाम से प्रसिद्ध एत्माद्दौला काे संरक्षण का काम कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने संवारा है। यमुना किनारा की तरफ बने दोनों कुओं में डिसिल्टिंग के साथ चूने का प्लास्टर किया गया। मकबरे के प्रथम तल पर फर्श के खराब पत्थरों को बदलने के साथ बुर्जियों के ऊपर संगमरमर के पत्थरों को सेट किया गया।
यमुना पार एएसआइ द्वारा संरक्षित स्मारक एत्माद्दौला है। यहां एएसआइ ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में बड़े स्तर पर संरक्षण कार्य कराए। स्मारक में यमुना किनारा की तरफ दोनों कोनों पर कुएं बने हुए हैं। एएसआइ ने दोनों कुओं में डिसिल्टिंग कराई। कुएं की क्षतिग्रस्त दीवारों की मरम्मत के साथ चूने का प्लास्टर किया गया। मकबरे के प्रथम तल पर फर्श के खराब पत्थरों को बदला गया
मकबरे के चारों कोनों पर बनी बुर्जियों पर लगे संगमरमर के पत्थरों की चूने का मसाला खराब होने की वजह से पकड़ कमजोर हो गई थी। बुर्जियों के संगमरमर के पत्थराें को चूने के विशेष मसाले का प्रयोग कर दोबारा सेट किया गया। अधीक्षण पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल ने बताया कि एत्माद्दौला में बड़े स्तर पर संरक्षण का काम किया गया है। बुर्जियों के पत्थरों को सेट किया गया है। कुओं में डिसिल्टिंग व संरक्षण का काम कराया गया है।
एएसआइ ने वर्ष 2015-17 तक एत्माद्दौला में वर्ल्ड मान्यूमेंट्स फंड (डब्ल्यूएमएफ) के सहयोग से संरक्षण कार्य किया था। स्मारक की चहारदीवारी पर चूने का प्लास्टर करने के साथ ही यमुना किनारे की तरफ स्थित बंद कोठरियों को खोला गया था। उनमें दरवाजे लगाए गए थे। यहां वाटर चैनल को संवारने के साथ उद्यान भी विकसित किया गया था।
एत्माद्दौला का निर्माण मुगल साम्राज्ञी नूरजहां ने अपने पिता मिर्जा ग्यास बेग की स्मृति में वर्ष 1622 से 1628 के बीच कराया था। स्मारक की दीवारों पर इनले वर्क के साथ पेंटिंग का आकर्षक काम हो रहा है।