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Coding Master: 11 साल की उम्र में बनाए 10 एप, मिल चुके हैं 150 अवार्ड, मिलिए आगरा के ‘वंडर ब्वॉय’ से

आगरा

बुलंद हौसले और कुछ कर गुजरने का जज्बा एक दिन शिखर पर पहुंचा देता है। यह कहावत आगरा के ब्लॉक बिचपुरी के गांव बरारा के रहने वाले 11 साल के देवांश धनगर पर बिल्कुल सटीक बैठती है। कोडिंग मास्टर के नाम से मशहूर देवांश शिखर पर पहुंचने के लिए बेताब है। 11 साल की उम्र में देवांश अब तक 10 एप तैयार कर चुके हैं। उनकी उम्र से दोगुने बड़े उनके शिष्य हैं।

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150 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान और पुरस्कार पा चुके देवांश पांच सौ से ज्यादा बच्चों को निशुल्क कोडिंग सिखा चुके हैं। इसके लिए 21 जुलाई 2021 को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह खुशियारी ने मुंबई में बाल गौरव सम्मान से नवाजा। देवांश के छात्र उन्हें कोडिंग किंग के नाम से भी बुलाते हैं। उन्हें इस बात का अफसोस है कि कोरोना के कारण नौंवी कक्षा के आधार पर दसवीं के अंक प्रदान किए गए। देवांश को उम्मीद थी कि वह परीक्षा देते तो वह 95 प्रतिशत से ऊपर अंक अर्जित करते। इस साल वह इंटर की परीक्षा देंगे

देवांश ने बताया कि उसके पिता लाखन सिंह मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) किए हुए हैं। कोडिंग के बारे में उनसे जाना था। मैंने कक्षा आठ तक की पढ़ाई घर पर रहकर की। सीधे नौंवी कक्षा में प्रवेश लिया। मेरा मकसद देश के लिए काम करना है। हमेशा कोडिंग को लेकर ही सोचता रहता हूं। मैं चाहता हूं कि कुछ ऐसा करूं जो दुनिया में मिसाल बने।
देवांश धनगर के पिता लाखन सिंह किसान और शिक्षक हैं। उनकी मां जया बघेल गृहिणी हैं। लाखन सिंह ने बताया कि तहसील से घर में पढ़ाई करने का शपथपत्र बनवाकर आरके इंटर कॉलेज, अलबतिया में कक्षा नौ में प्रवेश के लिए टेस्ट दिलाया था। वह एबेकस में भी काफी माहिर है। उसके कई एबेकस के भी विद्यार्थी हैं। उसे पढ़ाई और दुनिया में हर रोज हो रहे परिवर्तन और समाचारों की जानकारी लेने की आदत है।
कोडिंग को प्रोग्रामिंग के रूप में भी जाना जाता है। कंप्यूटर पर जो कुछ भी हम करते हैं, वो सारा काम इसी के जरिये होता है। कोडिंग के माध्यम से ही कंप्यूटर को बताया जाता है कि उसे क्या करना है। इसका मतलब कंप्यूटर जिस भाषा को समझता है, उसे कोडिंग कहा जाता है। देवांश कहते हैं कि अगर किसी को कोडिंग की भाषा आती है तो आसानी से वेबसाइट और एप बना सकते हैं।

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