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प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स योजना: आगरा से शुरू हुई ये योजना, तोड़ रही दम, घट गया लक्ष्य

आगरा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अक्तूबर 2020 में आगरा से इस योजना का शुभारंभ किया था, तब पंजीकरण में जिला अव्वल था।  शुरुआत में 84 हजार लाभार्थियों का लक्ष्य रखा गया था। 78 हजार लोगों ने आवेदन किए थे, जिनमें से 35 हजार को ही लाभ मिला।

आगरा में प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि योजना (पीएम स्वनिधि) का 19 महीने में पूरा गणित बदल गया। योजना जहां से लांच हुई वहीं दम तोड़ रही है। 27 अक्तूबर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने ताजगंज निवासी फल विक्रेता प्रीति से संवाद के साथ इस योजना को लांच किया था। तब लाभार्थियों के पंजीकरण में वाराणसी को पछाड़कर आगरा प्रदेश में पहले स्थान पर रहा। पर, अब लक्ष्य घट गया, ज्यादा संख्या में आवेदन निरस्त हुए और महज 35 हजार को ही ऋण का लाभ मिल सका है।

कोरोना महामारी से जूझ रहे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 27 अक्तूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना गारंटी के दस हजार रुपये ऋण देने की योजना पीएम स्वनिधि को लांच किया था। तब उन्होंने आगरा में लाभार्थियों से वर्चुअल संवाद किया था। रेहड़ी, पटरी, पथकर विक्रेताओं के लिए लाई गई इस योजना का तब जमकर प्रचार हुआ। जिले में 84,716 लोगों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य मिला। आवेदन के लिए लाइन लग गई। लक्ष्य के सापेक्ष दिसंबर 2020 तक 78,124 लोगों ने आवेदन किए थे। फिर चार महीने बाद ही मार्च 2021 में कोरोना की दूसरी लहर आ गई। इसके बाद योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

अमर उजाला ने सोमवार को जिला नगरीय विकास प्राधिकरण (डूडा) कार्यालय में पीएम स्वनिधि योजना की पड़ताल की। डूडा की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में जो लक्ष्य 19 महीने पहले 84 हजार था अब 41 हजार रह गया है। 43 हजार लाभार्थियों का लक्ष्य घट गया। वहीं, कुल 78 हजार आवेदन के सापेक्ष मई 2022 तक 40 हजार आवेदन ही स्वीकृत हुए हैं। यानी 38 हजार आवेदन भी निरस्त हो गए। इनमें भी अभी तक केवल 35 हजार लाभार्थियों को ही ऋण मिल सका है।डूडा के परियोजना निदेशक मुनीश राज ने बताया कि जब योजना शुरू हुई तब बहुत से लोग बेरोजगार थे। जूता कारीगर, रिक्शा चालक व अन्य कारीगर व पेशे से जुड़े लोगों ने पथ विक्रेता के लिए ऋण लेने का पंजीकरण कराया था। भौतिक सत्यापन में वे लोग नहीं मिले। फार्म भी अधूरे भरे गए। जांच में पता चला कि वह लोग पुराने काम पर लौट गए। ऐसे 38 हजार आवेदन निरस्त हो गए। इसके बाद अब 41 हजार लक्ष्य है। 35 हजार ऋण बांट चुके हैं।

अक्तूबर 2020 तक जिले में 53,442 लाभार्थी पंजीकरण करा चुके थे। इनके सापेक्ष 24,290 लोगों को ऋण वितरण हुआ। महज 14 हजार लोगों ने ही किस्त चुकाई। करीब 10 हजार लोग तब डिफॉल्टर हुए थे। इसके बाद से योजना में ऋण स्वीकृति पर ब्रेक लग गया। यही वजह है कि अक्तूबर 2020 के बाद 19 महीने में 11 हजार लोगों को ही ऋण मिल सका। जिले में कुल 35 हजार लाभार्थियों को ऋण मिला है।

बिना गारंटी दस हजार रुपये ऋण योजना में 24 प्रतिशत ब्याज थी। 10 किस्तों में 10 हजार रुपये का कुल 11,349 रुपये चुकाना था। इसमें 402 रुपये की लाभार्थी को सब्सिडी मिलती और 1200 रुपये का कैशबैक प्रोत्साहन था। इस तरह पूरा पैसा चुकाने पर लाभार्थी को 1602 रुपये का लाभ होता।

 

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