आगरा
कोरोना महामारी के उस दौर में सैकड़ों मील पैदल सफर कर घर पहुंचे प्रवासी मजदूरों को जब गांव व आसपास ही रोजगार मिल गया तो वह पलायन भूल गए। दोबारा ‘परदेस’ जाने के बारे में अब सोच भी नहीं रहे। आंकड़े बताते हैं कि आगरा जिले के 15 ब्लॉक में करीब 46 हजार श्रमिक मनरेगा से रोजगार पाकर अच्छा जीवन जी रहे हैं। इस वजह से उन्होंने दोबारा नौकरी के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, नोएडा, पंजाब का रुख नहीं किया।
गुजरात से लौटे रामपाल सिंह का कहना है कि थोड़ा खा लेंगे, लेकिन परदेस नहीं जाएंगे। मनरेगा में काम से खुश हैं। बाकी खेतीबाड़ी से काम चल जाता है। मार्च 2020 से पहले जिले के 15 ब्लॉक में 1.65 लाख मनरेगा श्रमिक जॉब कार्ड थे, जो अप्रैल 2022 में 2.11 लाख हो गए हैं। मुख्य विकास अधिकारी ए मनिकंडन का कहना है कि महामारी में लौटे प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा में अभियान चलाकर जॉब कार्ड बनाकर रोजगार दिया गया। अब वे यहीं खुश हैं लिहाजा दोबारा काम के लिए दूसरे प्रदेश नहीं गए।