आगरा
आगरा, यूं तो इस शहर को ताजनगरी के नाम से दुनिया भर में पहचान दी गइ है। लेकिन इतिहास का खजाना समेटे इसे शहर का ताल्लुक सिर्फ मुगल सल्तनत से ही नहीं रहा। सनातन धर्म की इस धरती पर जैन धर्म भी पल्लवित हुआ। आगरा में स्थित जैन मंदिरों की श्रंखला इस बात को साबित भी करती है।
शहर में दिगंबर जैन समाज व श्वेतांबर जैन समाज के प्राचीन मंदिरों की लंबी श्रृंखला है, जहां नियमित श्रद्धा की धारा प्रवाहित होती है। ये पूजा के साथ-साथ ध्यान साधना के प्रमुख केंद्र भी हैं। यहां जैन आचार्यों द्वारा साधना की जाती है। दिगंबर जैन समाज के करीब 72 व श्वेतांबर जैन समाज के आधा दर्जन मंदिर हैं।
दिगंबर जैन समाज का प्रमुख मंदिर श्रीशांति नाथ दिगंबर जैन मंदिर है, जो हरीपर्वत पर एक बड़ा तीर्थ स्थल जैसा है। करीब 85 साल पूर्व इसका निर्माण किया गया। मंदिर के मूल नायक भगवान शांतिनाथ की मूर्ति स्थापित है। इनके अलावा भगवान अजितनाथ, भगवान ऋषभनाथ आदि की भी मूर्तियां यहां हैं। आगरा दिगंबर जैन परिषद के अध्यक्ष अशोक जैन, एडवोकेट के अनुसार यहां जितना ऊंचा मान स्तंभ है, उतना आसपास में कोई नहीं है। यह स्तंभ भी करीब 65 साल पुराना है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष विशेष आयोजन होते हैं। आचार्यों व साधु संतों का प्रवास रहता है।
नुनिहाई में पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर है। यह करीब 600 साल पुराना बताया जाता है। इसके मूल नायक भगवान पाश्र्वनाथ हैं। इस मंदिर में भी एक मान स्तंभ है।
गुदड़ी मंसूर खां में सेठ बिहारीलाल जैन मंदिर धर्मशाला में शीतलनाथ दिगंबर जैन मंदिर है। जिसका निर्माण करीब 90 साल पूर्व बिहारीलाल जैन परिवार ने कराया था। छीपीटोला में प्राचीन मंदिर हैं, यहां भी नियमित आयोजन होते हैैं। कचौड़ा बाजार, लोहामंडी, कमला नगर, दयालबाग, नसिया जी, मोतीलाल नेहरू रोड आदि भी मुख्य जिनालय हैैं।