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विजयश्री चूमे कदम…

विजयश्री चूमे कदम ,जो करता संघर्ष ।
मन् धारण संकल्प कर,हुआ कार्य सहर्ष।।

संघर्ष काट कांटे पर्वत,मारग पथिकों को दे जाता,
यह भेद विदित सारे जग को,सोना तप ही ज्योति पाता।
संकल्प मन्त्र जादुई छड़ी ,ध्रुव तारा गगन अड़ा खड़ा ,
मीरा रसना रट श्याम सखा ,विष भी अमृत बन उतर पड़ा ।
संघर्ष कलेजा चीर दिखा जांबाजों में जब जोश भरे,
झांसी की रानी काल बनी,अंग्रेजी शासन आह करे।
इतिहास साक्षी भारत का,गांधी सुभाष मच गई धूम,
आंधी में उड़ा दिया शासन, सूखे पत्तों से झूम झूम।
संघर्षो की अकथ कहानी ,फिक्र न जान जहान की,
सेनानी सहते गर्मी सर्दी,रक्षा हित राष्ट महान की।
जीवन सफल करे वो मानव, संकल्प लक्ष्य जो साधे,
संघर्षो की बांह पकड़ , कांटों की परवाह न तीर काँधे।

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