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वादों के चौके-छक्के लगे, पीएम मोदी ने भी दिया भरोसा, फिर भी नहीं मिला आगरा को अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम

आगरा में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की मांग को लेकर कई बार एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम में धरना और प्रदर्शन हुआ। चुनावों के दौरान हर एक राजनीतिक दल के उम्मीदवारों ने वादों के चौके-छक्के लगाए, जिससे खेल संस्थानों के पदाधिकारियों को उम्मीद बंधी, लेकिन चुनाव के बाद वादे पूरे न होने पर उन्हें हताश होकर पवेलियन लौटना पड़ा।

प्रधानमंत्री मोदी ने किया था वादा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में जीआईसी मैदान में हुई चुनावी रैली में शहर की जनता से अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की मांग पूरा करने का वादा किया था। लेकिन अभी तक बात आगे नहीं बढ़ी है। आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल ने पिछले साल संसद के पहले सत्र में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम का मुद्दा उठाया था। बाद में इस दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
शहर ने दिए पांच अर्जुन अवार्डी
वर्ष 1972 में एथलीट विजय सिंह, वर्ष 1990 में हॉकी खिलाड़ी जगबीर सिंह, 1996 में अजीत भदौरिया, 2019 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य पूनम यादव और वर्ष 2020 में शहर की बेटी दीप्ती शर्मा को अर्जुन अवार्ड मिला। इसके अलावा आगरा में देश को कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की मांग पूरी नहीं हो पाई। इंडियन प्रीमियर लीग में आगरा के क्रिकेटर कृष्णकांत उपाध्याय खेल चुके हैं। वर्तमान में दीपक चाहर, राहुल चाहर और तेजेंद्र सिंह ढिल्लन खेल रहे हैं।

इसलिए होना चाहिए अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम
– अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगरा के खिलाड़ियों का खेल में शानदार प्रदर्शन रहा है।
– आगरा के पांच खिलाड़ी अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।
– अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम से आगरा को रोजगार के नए अवसर मिल सकेंगे।
– ताज के शहर में बड़ी खेल प्रतियोगिताओं से पर्यटन भी बढ़ेगा।
– प्रधानमंत्री वर्ष 2014 में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम देने का वादा कर चुके हैं।

नए सिरे से होना चाहिए होमवर्क: ओलंपियन जगबीर सिंह
इंडियन हॉकी टीम के पूर्व कप्तान जगबीर सिंह का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की मांग के लिए खेलों के जानकारों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की कमेटी बननी चाहिए। खेल के जानकारों को नए सिरे से जनप्रतिनिधियों को बताना होगा कि अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम क्यों जरूरी है। प्रशासनिक अधिकारियों को जमीन तलाशनी चाहिए। इसके बाद ही जनप्रतिनिधि खेल प्रेमियों की आवाज को मजबूती के साथ शासन में रख सकेंगे। उन्होंने कहा कि विश्व के किसी खिलाड़ी की इच्छा एक बार ताज देखने की जरूर होती है।

 

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