जयपुर के सिटी पैलेस में सभा निवास को फिर से टूरिस्ट के लिए खोल दिया गया है, अगर आप जाना चाहते हैं तो पहले जान लें क्या है यहां खास और कैसे पहुंच सकते हैं यहां। जयपुर अपने लग्जरी ट्रेवलिंग के लिए जाना जाता है यहां किले हैं जहां कभी राजा महाराजा और उनकी कई रानियां और दासियां रहा करती थीं। वहीं यहां महल हुआ करते थे जिन्हें अब पैलेसेस में बदल दिया गया है। इसी लिस्ट में सिटी पैलेस आता है, जिसका सभा निवास लोगों के लिए खोल दिया गया है। हालांकि इसकी घोषणा मई में कर दी गई थी। लेकिन अगर आपको अभी तक नहीं पता तो बता दें जयपुर में सिटी पैलेस घूमते हुए आप सभा निवास को भी देख सकते हैं। यहां पर्यटकों शाही परिवार से जुड़ी चीजें देखने को मिलेंगी। चलिए आपको बताते हैं यहां क्या है देखने लायक।सभा निवास, जिसे दीवान खाना या रॉयल ऑडियंस हॉल भी कहा जाता है, का निर्माण 1700 के अंत में महाराजा सवाई माधो सिंह प्रथम ने करवाया था। बाद में 1930 के दशक में महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय ने इसे और सजवाया था। सदियों तक ये जयपुर सिटी पैलेस का खास स्थान रहा, जहां राजा दूतों से मिलते थे, दरबार लगाते थे और राजघराने से जुड़ी महत्वपूर्ण रस्में पूरी की जाती थीं।पुराने समय में महाराजा यहां दरबार लगाते थे और दुनिया भर से आए मेहमानों का स्वागत करते थे। इस भव्य हॉल में ऐसा सिस्टम लगाया गया है जो तापमान और रोशनी को नियंत्रित करता है, ताकि इसकी खूबसूरती और पुरानी बनावट दोनों सुरक्षित रहें। खुले मेहराब, नक्काशीदार संगमरमर के खंभे और सुनहरी रंगों से सजी छतें इसकी शिल्पकला की झलक दिखाते हैं। जुलाई 2024 से शुरू हुई मरम्मत एक साल तक चली और इसमें हर छोटी-से-छोटी चीज को बड़ी बारीकी से संवारा गया है।लग्जरी के नजरिए से, सभा निवास जाना एक खास और शाही अनुभव है। यह केवल देखने में खूबसूरत नहीं है, बल्कि राजघराने की परंपरा का एहसास कराता है। यहां 19वीं सदी का शाही छत्र देख सकते हैं, जिसे आम लोगों के लिए 65 साल बाद दिखाया गया। सबसे खास बात ये है सभा निवास सिर्फ मरम्मत करके संभाला नहीं गया, बल्कि उसमें जुड़ी भावनाओं को भी जिंदा रखा गया है। महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह कहते हैं: “सभा निवास मेरे लिए बहुत मायने रखता है, यहीं मेरा राज तिलक हुआ था और मेरी 18वीं सालगिरह पर दरबार भी लगा था।सभा निवास रोजाना सुबह 9:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक घूमने के लिए खुला रहता है। यहां आपको कई ऐसे पुराने सामान और चीजें देखने को मिलेंगी, जो दशकों तक लोगों के सामने नहीं लाई गई थीं। इस हॉल का मुख्य आकर्षण है शानदार शाही छत्र, जिसका इस्तेमाल आखिरी बार महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय के समय हुआ था। इसके ऊपर लटका हुआ है बोहेमियन क्रिस्टल का विशाल झूमर, जिसका वजन करीब 600 किलो है। इस झूमर को बड़ी मेहनत से, एक-एक क्रिस्टल साफ करके, पहले जैसा चमकदार बनाया गया है।