Advertisement
HomeUttar PradeshAgraअतीत की कतरनों से

अतीत की कतरनों से

भारतीय अँग्रेजी साहित्य लेखन की नयी प्रवृत्तियों की चर्चा को समेटती एक पठनीय पुस्तक। इंदौर की सुपरिचित लेखिका डा . हेमलता दिखित के लेखन सरोकारों में अँग्रेजी साहित्य की श्रेष्ठ पुस्तकों के हिंदी में समीक्षा लेखन के अलावा चर्चित अँग्रेजी कहानियों के उनके अनुवाद और अपनी अभिरुचि के अन्य सामाजिक – सांस्कृतिक प्रसंगों पर लिखे गये उनके लेखों का उल्लेख महत्वपूर्ण है . हेमलता दिखित की प्रस्तुत पुस्तक में उनके इस कोटि के लिखे लेख संग्रहित हैं जिनको पढ़ते हुए समकालीन भारतीय आंग्ल साहित्य के साथ दुनिया के दूसरे देशों के कुछ प्रमुख अँग्रेजी लेखकों के रचनाकर्म से अवगत होने का मौका मिलता है ।

लेखिका ने इस किताब के पहले लेख में भारतीय आंग्ल लेखक विक्रम सेठ के उपन्यास द गोल्डन गेट की विषयवस्तु पर विचार किया है और इसके बाद अगले लेख में अमरीका में अँग्रेजी काव्य लेखन से प्रशंसा बटोरने वाले भारतीय कवि अकिल कांट्रैक्टर से उन्होंने सबको अवगत कराया है . इसके बाद के दो लेखों में नयनतारा सहगल और अनिता देसाई के अँग्रेजी कथा लेखन के विविध विषयगत पहलुओं की विवेचना से जुड़े लेख इस पुस्तक में पढ़ने को मिलते हैं . कुछ साल पहले भारती मुखर्जी ने अपने उपन्यास ‘ द मिडिल मैन एंड अदर स्टोरीज ‘ के लेखन के लिए अमरीका में नेशनल बुक क्रिटिक्स सर्कल अवार्ड प्राप्त करके काफी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया था . डा . हेमलता दिखित ने अपने एक पृथक लेख में इनके साहित्यिक का लेखा जोखा प्रस्तुत किया है . फ्रांसीसी लेखक डोमिनिक लेपेयर ने भारत को अपना विषय बनाकर फ्रीडम एट मिड नाइट उपन्यास को लिखा और खूब प्रसिद्धि प्राप्त की . इस पुस्तक के दो लेखों में डोमिनिक लेपेयर के भारत विषयक साहित्य लेखन के अन्तर्बाह्य यथार्थ को लेखिका ने तथ्यपरक शैली में समेटा है . इस पुस्तक के अनंतर अध्याय भी भारतीय आंग्ल साहित्य की अस्मिता और इसकी रचनात्मकता को रेखांकित करते हैं।

इस पुस्तक के एक अध्याय में लस्ट फार लाइफ उपन्यास के लेखक इरविंग स्टोन के कथा लेखन पर विचार किया गया है . प्रसिद्ध चित्रकार विंसेंट वानगाग के जीवन पर आधारित इस उपन्यास के लेखन से इरविंग स्टोन को अँग्रेजी साहित्य लेखन में विशिष्ट पहचान मिली है . अँग्रेजी में ‘ द आटोबायोग्राफी आफ एन अननोन इंडियन ‘ पुस्तक के लेखक नीरद चौधरी के जीवन और लेखन के बारे में भी इस किताब में एक यादगार लेख संकलित है।

अनिता देसाई को 1978 में फायर आन द माउंटेन के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिला . हेमलता दिखित ने इस पुस्तक में उनके एक अन्य उपन्यास इन कस्टडी के कथानक के बारे में बताया है और इस उपन्यास की विषयवस्तु के बारे में दिलचस्प प्रसंगों से अवगत कराती प्रतीत होती है . भारतीय मूल की लेखिका भारती मुखर्जी के पति और प्रसिद्ध अमरीकी लेखक क्लार्क ब्लेज जीवन और लेखन के बारे में भी एक लेख इस पुस्तक में पढ़ने को मिलता है।

साहित्य की दुनिया में लेखकों के पुरस्कार और सम्मान के साथ कई विवादों का समावेश भी अक्सर होता दिखायी देता है और लेखिका ने कामनवेल्थ राइटर्स प्राइज के साथ भारतीय अँग्रेजी लेखक अमिताभ घोष की नाराजगी को लेकर यहाँ कई विचारणीय प्रसंगों को उजागर करती दिखायी देती है।

देश के पूर्व चुनाव आयुक्त टी . एन . शेषण को सरकारी लोक सेवक के तौर पर मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजे जाने के उपलक्ष्य में भी लेखिका ने इस पुस्तक के एक लेख में उनकी चर्चा को समेटा है . उड़ीसा के अँग्रेजी कवि राजू सामल के काव्य लेखन के बारे में भी इस पुस्तक के एक लेख में विचार विमर्श है . भारत के प्रवासी भारतीय अँग्रेजी उपन्यासकार अरदेशर वकील के उपन्यास बीच – बाय के उल्लेख के साथ लेखिका ने एक लेख में उनके रचनाकर्म के अन्य पहलुओं के बारे में भी एक लेख में बताया है।

प्रकाशक से लेखक के रूप में सामने आना भी कुछ कम हैरतअंगेज नहीं है और पेंग्विन इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेविड देवीदार और उनके उपन्यास द हाउस आफ ब्लू मैंगोज के लेखन की कहानी इस पुस्तक में ऐसे ही सच का बयान करती है।

लेखिका ने इस पुस्तक के अगले पठनीय लेखों में भारतीय मूल के लेखक मनिल सूरी , लैटिन अमरीकी लेखक गेब्रियल गार्सिया मार्खेज , दिल्ली की अँग्रेजी लेखिका मधु टंडन और उनके उपन्यास फेथ एंड फायर के अलावा अँग्रेजी साहित्य के भारतीय विद्वान प्रो . बोरगाँवकर के जीवन – लेखन पर केंद्रित लेख सहजता से ध्यान आकृष्ट करते हैं।

समाज में कविता जीवन का आलोक फैलाती है लेकिन कई कवि गुमनाम ही बने रह जाते हैं और उड़ीसा के एक कवि कवि अक्षय साहु से लेखिका ने इसी क्रम में परिचय कराया है . लेखक किरपाल कजाक के बारे में लिखा लेख भी इसी प्रसंग में यहाँ पठनीय बन पड़ा है . इंदिरा गोस्वामी के कठोर एकाकी संघर्षमय जीवन की कथा से भी जुड़ा लेख भी यहाँ प्रेरक बन पड़ा है।

हेमलता दिखित की इस पुस्तक के शेष अध्यायों में बड़ौदा की हिंदी कवयित्री कुमारी मधु मालती के हिंदी काव्य लेखन से उनके प्रेम के बारे में बताया गया है . इनके काव्य संग्रह ‘ भाव निर्झर ‘ के प्रकाशन के बाद माथे की चोट से उनके असहाय हो जाने का जिक्र भी एक लेख में है . इसके बाद के लेख में पोलियोग्रस्त डा . सुरेश अडवानी की प्रेरक जीवन कथा का वर्णन इस पुस्तक को सार्थक बनाता है जिसमें इस शारीरिक अपंगता के बावजूद वे निरंतर चिकित्सा शोध और लेखन में निरंतर संलग्न दिखायी देते हैं।

लेखिका ने अपनी इस पुस्तक के बाकी कुछ अध्यायों में साहित्येत्तर मुद्दों को लेखन में समेटा है और यहाँ वह मुंबई के शेर अहमद जैसे गरीब बच्चों की जिंदगी का मुआयना करती नजर आती है जिनका जीवन मुंबई की लोकल ट्रेनों में हेयर पिन्स और सेफ्टी पिन्स बेचते व्यतीत हो जाता है . लेखिका ने इस पुस्तक के एक लेख में इंदौर के अपने गुरुजनों में शुमार डा . के . के . केमकर को भी याद किया है और इसके अलावा इंदौर के अन्य लोगों से अपनी इस मुलाकात में टेलरिंग मास्टर अब्दुल हमीद चौधरी से भी पुस्तक को पढ़ते हमारी मुलाकात उनसे होती है।

एशियाई देशों में महिलाओं के साथ घरेलू मारपीट एक जटिल समस्या है और अमरीका के प्रवासी भारतीय परिवारों में भी यह समस्या व्याप्त है . शिकागो के अपना घर की सेवाओं की चर्चा से लेखिका ने इस तरह की कठिनाइयों से जूझती भारतीय अमरीकी महिलाओं की कठिनाइयों को उजागर किया है।

लेखिका ने इस पुस्तक के अन्य बाकी लेखों में अपनी विदेश यात्रा के अनुभवों के बहाने कई अन्य रोचक बातों को शेयर किया है . इस प्रकार यह पुस्तक भारतीय अँग्रेजी लेखकों के लेखन के नये संदर्भों के अलावा दूसरे अनेक स्फुट विषयों को अपने कलेवर में समेटती है।

 

 

राजीव कुमार झा

 

XMT NEWS

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Verified by MonsterInsights